बिहार की एक जामा मस्जिद से युवा बनेंगे अफसर, कोचिंग सेंटर का आगाज

सेराज अनवर / गया / पटना

आज जब देश में मस्जिदों को लेकर चर्चा है. मध्य बिहार की राजधानी कहे जाने वाले गया शहर की जामा मस्जिद संपूर्ण बिहार के लिए मिसाल बनने जा रही है. अब यहां युवाओं को नमाजी बनाने के साथ अधिकारी बनाने की भी तैयारी है.गुरुवार को इस मिशन की शुरुआत करते हुए मस्जिद में भारतीय प्रशासनिक सेवा की कोचिंग के लिए सेंटर का आगाज किया गया.उद्घाटन समारोह में जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी जितेंद्र कुमार के अलावा कई अन्य धर्मों के लोग भी शामिल हुए.

मस्जिदों को स्किल सेंटर के रूप में स्थापित करने की ओर यह पहला कदम है.बिहार में यह पहली मस्जिद है जो रोजा-नमाज से आगे की सोच रखती है. आम तौर से लोग समझते हैं कि मस्जिद सिर्फ नमाज पढ़ने की जगह है.बहुत हुआ तो दीनी जलसे का आयोजन किया जाता है.

मस्जिद नॉलेज सेंटर भी बन सकती है. अब इस सोच पर भी काम शुरू हो गया है. हैदराबाद सहित दक्षिण भारत, महाराष्ट्र के कई शहरों एवं गांवों की मस्जिदों में इस दिशा में बड़ी मुस्तैदी से काम चल रहा है. बिहार के गया शहर में यह पहला प्रयास है.

कहते हैं पैगंबर इस्लाम हजरत मोहम्मद ने अपनी मस्जिद को ज्ञान स्थली के रूप में विकसित किया था.गया में भी मिल्लत के नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए मस्जिद के दरवाजे खोले गए गए हैं.सूफी पीर मंसूर की सरजमीं गया की सबसे बड़ी और तारीखी जामा मस्जिद कमेटी ने लीक से हट कर पहल की है.

जामा मस्जिद कमेटी द्वारा संचालित निरूशुल्क बीपीएससी कोचिंग का गुरुवार को विधिवत उद्घाटन हुआ.मुख्य अतिथि के तौर पर बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद मोहम्मद इरशादुल्लाह,इस्लामिक स्कॉलर मौलाना शमीम अहमद मुनअमी,अल्पसंख्यक कल्याण विभाग बिहार सरकार के निदेशक अफाक अहमद फैजी ने संयुक्त रुप से रिबन काटकर कोचिंग का आगाज किया.

मोहम्मद इरशादुल्लाह ने कहा कि जामा मस्जिद औकाफ कमेटी की प्रबंधन समिति ने एक वर्ष पहले जो वादा किया था उसे शत-प्रतिशत करके दिखाया, इसलिए मैं प्रबंधन समिति को बेहद शुभकामनाएं और मुबारकबाद देता हूं.उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं को हम लोगों को जानने और उसे हासिल करने,जरूरतमंदों तक पहुंचाने,योजनाओं के प्रति शहर से लेकर गांव तक के लोगों को जागरूक करने की बेहद जरूरत है.

कोचिंग के प्रवेश परिक्षा में सफल छात्र-छात्राओं को आशीर्वाद देते हुए उन्होंने इस शेर के हवाले से कि ‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले -खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है’, कहा कि आप लोगों को शिक्षक अपने लेक्चर व लेखनी के माध्यम से पढ़ाएंगे लेकिन पढ़ना आपको है .कड़ी मेहनत व लगन के साथ किताबों से चिपकना आपको है.हम लोग हर तरह से आपके साथ खड़े हैं.

कोचिंग सेंटर फिलहाल 66 अभ्यर्थियों को बीपीएससी परीक्षा की तैयारी कराएगा.जिसमें 19 लड़कियां और 41 लड़के शामिल हैं.कुल 114 अभियर्थियों ने अप्लाई किया था.प्रवेश परीक्षा में 92 अपीयर हुए.

इंटरव्यू में 66 का सेलेक्शन हुआ. गया शहर के साथ शेरघाटी, नवादा, जहानाबाद, रफीगंज और कुछ लड़के उत्तर बिहार के सीतामढ़ी से चयनित हुए हैं. सालाना 10 लाख का बजट तय किया गया है.

जामा मस्जिद कमेटी की मासिक आय तीन लाख रुपए है. दो लाख की राशि मस्जिद के रख-रखाव पर खर्च होतीं है. शेष एक लाख रुपए कोचिंग चलाने में खर्च किया जाएगा.सराय स्थित जामा मस्जिद वक्फ बोर्ड के तहत है.

बिहार अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक अफाक अहमद फैजी ने बेहद ईमानदाराना अंदाज में उपस्थित लोगों से मुखातिब होते हुए कहा कि मैंने पुस्तकालय देखी, रखे हुए पुस्तकों को भी देखा,बेहद डिजिटली अंदाज में सजाया गया है.

बेहतरीन किताबों का संग्रह है और बेहतर करने की आवश्यकता है.उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को भी मोटिवेट कर जिन लोगों को सिविल सर्विसेज की तरफ रुझान है उन्हें जोड़ने की जरूरत है.

अभी से ही वैसे बच्चों को काउंसलिंग किया जाए तो बेहतर होगा.अल्पसंख्यकों के विभिन्न योजनाओं में खास योजना आवासीय विद्यालय का जिक्र करते हुए उन्होंने गया से भी आवासीय विद्यालय हेतु 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने को कहा.उपलब्ध भूमि वक्फ बोर्ड की होनी चाहिए.

बिल्डिंग बनाने को लाखों रुपए कल्याण विभाग के पास मौजूद है. बालक व बालिका छात्रावास के रखरखाव को और भी बेहतर बनाने का निर्देश उपस्थित अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी व उससे जुड़े लोगों को दिया.

मौलाना शमीम मुनअमी ने मस्जिद नबवी की बताई खासियत

देश के बड़े इस्लामिक स्कॉलर में शुमार खानकाह मुनअमिया मित्तनघाट पटनासिटी के सज्जादानशीं मौलाना शमीम अहमद मुनअमी ने कहा कि जामा मस्जिद गया के जज्बा,शिक्षा के प्रति स्नेह, बेहद ऊंची सोच बिहार के लिए मील का पत्थर साबित होगी.

उन्होंने कहा कि सजावट के साथ किसी संस्था की शुरुआत करना कामयाबी की दलील नहीं है, बल्कि कछुए की चाल चलकर मंजिल हासिल करना ही कामयाबी की दलील है. आशा है कि इंकलाबी तेवर के साथ उठाए गए कदम अपनी मंजिल तक पहुंच कर ही दम लेगा.

मस्जिदों के बारे में आम राय का जिक्र करते हुए मौलाना ने कहा कि जामा मस्जिद के बारे में जब भी कोई सुनेगा तो वह यही सोचेगा कि नमाज पढ़ने की जगह है.ज्यादा से ज्यादा कोई दीनी जलसा हो जाए.

शायद ही कोई सोच पाए कि यह जामा मस्जिद सिर्फ नमाज नहीं पढ़ाती बल्कि यह ज्ञान,प्रकाश भी देती है. हजरत मोहम्मद ने अपनी मस्जिद को नॉलेज सेंटर बनाया था.मस्जिद नबवी से पता नहीं कितने इंकलाब आए.

ये थे समारोह में शामिल

समारोह की अध्यक्षता जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद हबीब ने की, जबकि संचालन हादी हाशमी प्लस टू स्कूल के प्राचार्य नफासत करीम ने ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत जामा मस्जिद के इमाम हाफिज महफूज उर रहमान के द्वारा तिलावते कलाम पाक से हुई.कमेटी के सचिव अख्तर हसनैन ने रिपोर्ट प्रस्तुत की.

इस मौक पर कमेटी के सक्रीय सदस्य सैयद शाद उर्फ सुलन,मसउद मंजर,एजाज करीम, डॉक्टर सरताज खान,अजमत हुसैन खान,छात्र तंजीला व कमाल अजहर ने भी अपने विचार रखे.

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी असगर आलम खान, जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी जितेंद्र कुमार, अंचला अधिकारी सिरदला गुलाम सरवर, प्रोफेसर बदीउजजमा, परवेज आलम, मोती करीमी, मोहम्मद यहिया अधिवक्ता,शमशीर खान आदि शामिल थे. धन्यवाद ज्ञापन कमेटी के सदस्य व पूर्व प्राचार्य गुलाम समदानी ने किया.

साभार: आवाज़ द वॉइस

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