आज से 6 साल पहले आज ही के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा चमत्कारिक फैसला (नोटबंदी) लिया था कि देश के पत्रकार पत्रकारिता करते हुए ही वैज्ञानिक हो गए थे। नाम आप जानते ही होंगे-सुधीर चौधरी और श्वेता सिंह।
सुधीर दो हज़ार के नोट में नैनो चिप बता रहे थे, तो श्वेता उसी नैनो चिप से सिग्नल भेज रही थीं, राडार से कनेक्ट करवा रही थीं।
उनकी इस तकनीक से ब्लैकमनी वाले चोर पकड़े जाने थे, वो तो पकड़े नहीं गए लेकिन गोदी मीडिया की चोरी ज़रूर पकड़ी गई।
नोटबंदी के समय लोग रो रहे थे, बिलख रहे थे, मर रहे थे। लेकिन देश के पत्रकार अपने मालिक को खुश कर रहे थे।
PM मोदी ने नोटबंदी के समय देश से 50 दिन मांगे थे। बोला था कि अगर मेरी कोई गलती निकल जाए तो देश जो सज़ा देगा उसे मैं स्वीकार कर लूंगा।
आज देश की जनता प्रधानमंत्री से पूछना चाहती है कि क्यों काले धन पर काबू नहीं हुआ। कैशलेस इकॉनमी की बात करने वाले मोदी जी बताएं आज कैसे दोबारा कैश बढ़ गया?50 दिन का समय मांगे वाले नरेंद्र मोदी आज 6 साल में भी कोई जबाव नहीं दे पा रहे हैं।
सरकार की ही तरह इस मामले में पत्रकारों की भूमिका भी संदिग्ध रही है। आज ही के दिन देश के दो पत्रकार रातों-रात वैज्ञानिक बन गए थे। मानो उनके अविष्कार से अमेरिका का नासा भी चकित रहे गया था।
लोग आज श्वेता सिंह की पुरानी वीडियो शेयर कर रहे हैं और बोल रहे हैं कि चिप लगी है तो उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा?
इसी पर एक यूजर अजीत त्यागी ने लिखा-“…देश को बर्बाद करने में इनका भी हाथ है।”
ऐसी कई पापा की पारियों ने अपने पिताजी के ब्लंडर को सही साबित करने के लिए ब्लेंडर्स पीकर पत्रकारिता की थी। देश को बर्बाद करने में इनका भी हाथ है।#6YearsOfDemonetization pic.twitter.com/gotXE0GEzK
— Ajit Tyagi (@_AjitTyagi) November 8, 2022
साभार: बोलता हिदुस्तान