कायमखानी छात्रावासों के लोगों ने देश-विदेश में फहराया काबिलियत का परचम

अशफाक कायमखानी / जयपुर
मुस्लिम समुदाय की कायमखानी बिरादरी के कुछ उत्साही लोगों ने आजादी के पहले जोधपुर में एक ‘कायमखानी छात्रावास’ का निर्माण करवाया था. और अब यह पौधा पूरी फसल बन गया है। शिक्षा के इन केंद्रों का राजस्थान के अन्य शहरों में भी प्रसार हो रहा है. जोधपुर के छात्रावास की सुविधा का लाभ उठाकर अनेक मुस्लिम छात्रों ने उच्च शिक्षा पाई और वे सरकारी व गैर सरकारी सेवाओं में ऊंचाईयों तक पहुंचे. विदेशों में अच्छी नौकरी पाकर देश की विदेशी मुद्रा से सेवा कर रहे हैं.

अब कायमखानी समाज जोधपुर के अलावा द्वारा डीडवाना, सीकर, चूरू व झूंझुनू शहर में भी कायमखानी छात्रावास संचालित करने लगा है. इन सभी छात्रावासों में आवश्यकता अनुसार आवश्यक आधुनिक सुविधाओं और भवन विस्तार का कार्य तेजी के साथ चल रहा है. इस तरह कायमखानी छात्रावास समाज में शिक्षा और रोजगार के केंद्र बनकर उभरे हैं.

मुस्लिम समुदाय की कायमखानी बिरादरी मूलतः देहाती परिवेश में रहकर फौज व पुलिस और अरब देशों में मजदूरी करने के अलावा कृषि कार्य करके गुजर-बसर करती है.
कायमखानियों द्वारा बनवाया गया जोधपुर का पहला छात्रावास समय-समय पर आवश्यकता अनुसार विस्तृत रूप लेता रहा और आज आम छात्र की आवश्यकता बन चुका है.

इस कायमखानी छात्रावास में लगातार आवश्यक सुविधाओं के साथ भवन विस्तार का कार्य लगातार चलता रहता है. यहां छात्रों के लिए शिक्षामय वातावरण और जीवनशैली को अनुशासित बनाया जा रहा है, जिससे सफलता के उत्साहवर्धक परिणाम आने लगे और आमजन को अपने मेहनत फलती-फूलती नजर आ रही है.

कई शहरों में बन गए छात्रावास
जोधपुर की देखादेखी कायमखानी समाज ने अन्य शहरों में भी इस सेवा को विस्तार दिया है.
डीडवाना के कायमखानी छात्रावास में भवन विस्तार के साथ छात्रावास को मॉडल छात्रावास का रूप देने के तमाम प्रयास हो रहे हैं.

कायमखानी समाज द्वारा खासतौर पर सीकर स्थित छात्रावास में मुख्य भवन के अतिरिक्त बड़ी तादाद में आधुनिक सुविधाओं युक्त नये कमरे बनाने का कार्य तेजी के साथ प्रगति पर है.
चूरू शहर के कायमखानी छात्रावास को भी विस्तार देकर इस साल से छात्रों को प्रवेश देने की शुरुआत कर दी गई है.

नवाब नगरी झुंझुनूं के जिला मुख्यालय स्थित खेतड़ी महल में संचालित कायमखानी छात्रावास में अनेक तरह की सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है. इसके जीर्णोद्धार के लिए हाल ही में समाज के गणमान्य लोगों की एक बैठक भी हुई थी.
नागौर के मेड़ता कस्बे में भी छात्रावास के लिये समाज द्वारा जमीन खरीद कर उसकी चारदीवारी कर दी गई है.

गाईडेंस व कोचिंग का इंतजाम
इन छात्रावासों में छात्रों के लिये पौष्टिक आहार के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के कोर्सों की गाईडेंस व कोचिंग का भी पूरा इंतजाम करने का विशेष ध्यान रखा जाता है.

चंदा और परंपराओं से होता है खर्च
इन सभी छात्रावासों का संचालन स्थानीय स्तर पर कायमखानी समुदाय द्वारा किया जाता है. छात्रावासों में मुस्लिम समुदाय के छात्रों को प्रवेश देकर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की हर मुमकिन कोशिश की जाती है.
छात्रावास का अधिकांश खर्चा समाज में शादी, भात और अन्य समारोह की लागू-लाग से पूरा होता रहता है. बाकी सुविधाओं की पूर्ति व भवन विस्तार के लिये चंदा एकत्रित किया जाता है.

अब कोशिशें बेटियों के लिए
इन छात्रावासों की श्रंखला के बाद अब इसी तरह बेटियों के लिए भी जगह-जगह बालिका छात्रावास बनाने की योजनाएं भी बनने लगी हैं. शीघ्र ही बालिका छात्रावास बनने से मुस्लिम समाज में महिला सशक्तीकरण भी देखने को मिलेगा.

साभार: आवाज द वॉइस

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