मुस्लिम वैज्ञानिकों के वे अविष्कार जिसने दुनिया ही बदल दी

पूरी दुनिया मुस्लिम वैज्ञानिकों का लोहा मानती आई है। वैज्ञानिक युग के शुरुआत से ही मुस्लिम वैज्ञानिकों ने अपने आविष्कार से दुनिया को बहुत कुछ दिया। यूरोपीय देशों ने मुस्लिम वैज्ञानिकों की लिखी किताबो का अनुवाद कराकर इस ज्ञान को हासिल किया और आज पूरी दुनिया पर उनका शासन है। वहीं मुसलमान शिक्षा से दूर होते गए। जिसका नतीजा आज सभी के सामने है।

ऐसे में हम कुछ मुस्लिम वैज्ञानिकों के बारे में जानकारी दे रहे है।

  • अल तूसी (खगोलशास्त्र)

अल तूसी का पूरा नाम अल अल्लामा अबू जाफर मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन हसन अल तूसी है। सातवीं सदी हिजरी के शुरू में तूस में पैदा होने के कारण इंका ना तूसी पड़ा। इनकी गिनती टॉप मुस्लिम वैज्ञानिकों में होती है। तूसी की लिखी “शक्ल उल किताअ”  वह पहली किताब थी। जिसने त्रिकोणमिति को खगोलशास्त्र से अलग करने का कार्य किया था। उन्होने एक खगोलीय टेबल बनाया था। जिसका फाइदा यूरोप ने भी उठाया। इसके जरिये बहुत सी खगोलीय समस्याओ को हल किया गया। इसी बदौलत ही कूपर निकस को सूरज को सौर मण्डल का केंद्र पता करने में मदद मिली थी। तूसी को इस्लामिक इतिहास का सबसे बड़ा गणितज्ञ भी माना जाता है। उनकी खगोल विज्ञान की पुस्तकों में “अलतजकिरा अलनासरिया ” जिसे “तजकिरा फी इल्म नसख” के नाम से भी जाना जाता है। एक मशहूर किताब है।

  • जाबिर बिन हियान (रसायन शास्त्री)

जाबिर बिन हियान इस्लामिक इतिहास के पहले रसायनशास्त्री थे। उन्हे पश्चिमी गेबर (geber) के नाम से जानते है। जाबिर बिन हियान को रसायन विज्ञान का जनक माना जाता है।733 ईस्वी में तूस में जन्मे जाबिर बिन हियान ने ही एसिड की खोज की थी।  जिसकी वजह से सोने को भी पिघलाना संभव हुआ था। उन्होने  पदार्थ को तीन भागों वनस्पति ,पशु और ,खनिज में विभाजित किया था। इसके अलावा उन्होने रासायनिक यौगिकों जैसे – कार्बोनेट, आर्सेनिक, सल्फाइड की खोज कर दुनिया को नमक के तेजाब, नाइट्रिक एसिड, शोरे के तेजाब, और फास्फोरस से अवगत कराया। उन्होने वार्निश के जरिये लोहे को जंग से बचाने की पध्दति खोजी थी। उनकी पुस्तकों में अल रहमा ,किताब-उल-तज्मिया , जैबक अल शर्की , किताब-उल-म्वाजीन अल सगीर बहुत लोकप्रियता है।

  • अल जज़री

अल जजरी एक महान वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग थे। उन्होने ऑटोमोबाइल इंजन की गति के मूल सिधान्त को स्पष्ट किया था। उन्हीं के सिद्धांत से आज रेल के इंजन और मोबाइलों उपकरणों का आविष्कार संभव हो पाया। उन्होने ही दुनिया को रोबोट के आविष्कार का तरीका दिया। उनके सिद्धांतों से पानी निकालने वाली मशीन  हाथ घड़ी, कैसल घड़ी, मोमबत्ती घड़ी,और पानी घड़ी का आविष्कार संभव हो पाया|

  • इब्न अल हैशम 

इब्न अल हैशम को दुनिया अबू अली अल हसन बिन अल हैशम के नाम से जानती है। जो ईराक के एतिहासिक शहर बसरा में 965 ई में पैदा हुए थे। हेशम को अपने दौर का भौतिक विज्ञान , गणित, इंजीनियरिंग और खगोल विज्ञान का माहिर माना जाता था। इब्न अल हैशम ने मिस्र की नील नदी के किनारे बाँध बनाने की योजना शुरू की थी। लेकिन अपर्याप्त संसाधन के कारण ये योजना पूरी नहीं हो पाई। लेकिन बाद में उन्हीं की इस योजना पर नील नदी पर बाँध बना। जिसे आज दुनिया असवान बाँध के नाम से जानती है |

हैशम  ने ही आँख से प्रकाश के वस्तुओं से टकराने और फिर वस्तु के हमें दिखाई देने का सिद्धान्त प्रतिपादित किया था। जिसे आज दुनिया में कोई भी नहीं झुठला सकता।  इस सिद्धान्त के प्रतिपादिन में उन्हे गणित का सहारा लेना पड़ा था। उनकी मशहूर किताब “किताब अल मनाज़िर” में उन्होने आँख पर एक विस्तृत रिसर्च प्रस्तुत की। जिसमे आँख के हर भाग का पूर्ण विवरण है। उन्होने दुनिया को ये बताया था कि आदमी को दूर की चीजें पास और पास की दूर दिखाई देती हैं। जिसके बाद वैज्ञानिकों ने फोटो कैमरे का आविष्कार किया।

उन्होने ही बताया था कि “अगर किसी अंधेरे कमरे में दीवार के ऊपर वाले हिस्से से एक बारीक छेद के द्वारा धूप की रौशनी गुजारी जाये तो उसके उल्ट अगर पर्दा लगा दिया जाये तो उस पर जिन जिन वस्तुओं का प्रतिबिम्ब पड़ेगा वह उल्टा होगा ” उन्होंने इसी आधार पर पिन होल कैमरे का आविष्कार किया। जिस पर बाद में गैलीलियो, कापरनिकस और न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों ने काम किया। नतीजन गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार किया। उन्होने अपने जीवन में 237 किताबें लिखीं।

  • अबुलकासिस (सर्जरी का संस्थापक)

अबू कासिम बिन खल्फ बिन अल अब्बास अल जहरवी को सर्जरी का जनक कहा जाता है। 936 में पैदा हुए अबू कासिम को पश्चिमी दुनिया अबुलकासिस (Abulcasis) के नाम से जानती है। उनकी पुस्तक “किताब अल तसरीफ” में चिकित्सा विज्ञान के सभी कलाओं का उल्लेख है। अल जहरवी ने ही सर्जरी की खोज की थी। इससे पहले इन्सानों का इलाज घावों को गरम लोहे से जलाकर किया जाता था।

  • अल-किंदी

अल किंदी का पूरा नाम याकूब इब्न इशहाक अल-किंदी है।  किंदी की प्रारंभिक शिक्षा कूफ़ा में हुई। इसके बाद वे बगदाद चले गये। जहां उन्होने गणित , चिकित्सा और खगोल विज्ञान में महारत हासिल की। शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होने इस्लामी दुनिया को हकीम अरस्तू के ख्यालों से परिचित कराया। उन्होने गणित, चिकित्सा विज्ञान, दर्शन, और भूगोल जैसे विषयों पर 241 उत्कृष्ट पुस्तकें लिखी। जिनमें “बैत-उल-हिक्मा” (House of Wisdom) को बहुत लोकप्रियता हुई।

  • अल-बैरूनी

अल-बैरूनी को कोण नहीं जानता। उनका पूरा नाम अबू रेहान मुहम्मद इब्न अहमद अल बैरूनी है। 9 सितंम्बर 973 ई को ख्वारिज्म के एक गाँव बैरून में जन्मे अल-बैरूनी की गिनती एक बड़े शोधकर्ता और वैज्ञानिक के रूप में होती है। उन्होने न केवल गणित बल्कि इतिहास और भूगोल पर भी किताबे लिखी। जिनमे  “किताब-अल-हिंद” बहुत लोकप्रियता हुई। उन्हे हिन्दुओं के धार्मिक विश्वासों और इतिहास का बड़ा ज्ञान था। उन्होने कई साल हिंदुस्तान में बिताए थे। उन्होने भारत में रहकर संस्कृत भी सीख ली थी। उन्होने 1000 साल पहले जमीन की सटीक माप निकाल ली थी। उन्होने ही दुनिया को बताया था कि पृथ्वी अपने अक्ष (Axis) पर घूमती है। साथ ही उन्होने ही बताया था कि फव्वारों का पानी नीचे से ऊपर कैसे जाता है।

  • इब्न सीना

इब्न सीना का पूरा नाम “अली अल हुसैन बिन अब्दुल्लाह बिन अल-हसन बिन अली बिन सीना” है। जो एक प्रमुख डाक्टर और दर्शिनिक थे। पश्चिम दुनिया इन्हें अवेसेन्ना (Avicenna) के नाम से जानती है।  कहा जाता है कि बुखारा के सुलतान नूह इब्न मंसूर जब बीमार हो गये थे। तो किसी हकीम की कोई दवा उन पर असर नहीं कर रही थी। ऐसे में 18 साल की उम्र में इब्न सीना ने उनका इलाज़ किया था और इब्न सीना की दवाई से सुल्तान-इब्न-मंसूर स्वस्थ हो गये थे। ऐसे में सुल्तान ने खुश हो कर इब्न सीना को पुरस्कार के रूप में एक पुस्तकालय दिया था।

अबू अली सीना की गणित पर भी पकड़ थी। उन्होने “रिसाला अल-जराविया , मुख्तसर अक्लिद्स, अला रत्मातैकी, मुख़्तसर इल्म-उल-हिय, मुख्तसर मुजस्ता , रिसाला फी बयान अला कयाम अल-अर्ज़ फी वास्तिससमा जैसी किताबें लिखी। जिसमे “किताब अल कानून (canon of medicine)” चिकित्सा के क्षेत्र की एक मशहूर किताब है। जो 19वीं सदी के अंत तक यूरोप की कई यूनिवर्सिटीयों में पढाई जाती रही। आज भी अबू अली सीना की सेवाओं के लिए यूरोप में उनके नाम से डाक टिकट जारी होते हैं।

1 thought on “मुस्लिम वैज्ञानिकों के वे अविष्कार जिसने दुनिया ही बदल दी

  1. I appreciate your good effort. It is need of the hour to make our generation aware about Muslim’s contribution to the world.

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