तहसीन बानो UPSC की परीक्षा पास करने वाली कर्नाटका से एक मात्र मुस्लिम कंडीडेट हैं जिसका परिडाम पिछले सप्ताह घोषित किया गया था, मुंबई से लौटने पर हुबली में दक्षिण पश्चिम रेलवे महिला कल्याण संगठन द्वारा संचालित उनके स्कूल में उनका जोरदार स्वागत किया गया।
24 साल की तहसीन ने हज हाउस मुंबई से और फिर बाद में जामिया मिल्लिया इस्लामी विश्वविद्यालय के दिल्ली में आवासीय कोचिंग सेंटर से यूपीएससी परीक्षा के लिए कोचिंग ज्वाइन की। उसने अपने दूसरे प्रयास में 482वीं रैंक हासिल की है। सेवानिवृत्त रेलवे क्लर्क की बेटी तहसीन 2020 में पहले प्रयास में प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाई थी।
तहसीन के पिता खादर बाशा बताते हैं कि वह हमेशा अपनी बेटी की सफलता के बारे में आश्वस्त थे। मेरे दो बेटे और दो बेटियां पढ़ाई में अच्छी हैं। यह मेरे लिए गर्व का क्षण था जब महाप्रबंधक, एसडब्ल्यूआर, और मंडल रेल प्रबंधक, हुबली ने हमें अपने कार्यालय में आमंत्रित किया और मेरी बेटी को सम्मानित किया।
तहसीन कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय धारवाड़ से कृषि विज्ञान में स्नातक हैं। तीन साल पहले जब वह अपने डिग्री कोर्स के अंतिम वर्ष में थीं तब उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का फैसला किया। उन्होंने हज हाउस में दी जाने वाली कोचिंग में भाग लिया है और जो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है। जबकि तहसीन ने 2019 में पहले प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पायी थी।
तहसीन कहती हैं की दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया की आवासीय कोचिंग अकादमी से मुख्य और व्यक्तिगत साक्षात्कार के लिए कोचिंग भी ली। हालांकि उसने स्वीकार किया कि 680 में से 482वीं रैंक उसके लिए भी हैरान करने वाली थी। वो कहती हैं की मैंने सोचा था कि नीचे पांच में हो सकता है।
तहसीन के माता-पिता से उनके परिवार, दोस्त, पड़ोसी उनके घर हुबली की घुंडीकेरी की कॉलोनी में मिले, जहां उत्साह का माहौल बना हुआ है। पिता खादर बाशा और मां हसीना बेगम ने बेटी की इस उपलब्धि पर बधाई दी। माता-पिता ने अपनी बेटी की सफलता का जश्न मिठाई के साथ मनाया क्योंकि वह मुंबई से लौटी थी। तहसीन का घुंडीकेरी के निवासियों और हुबली के नागरिकों द्वारा भी अभिनंदन किया गया।