देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से हालात बदतर है। दिल्ली के एयर क्वालिटी में कोई सुधार नहीं हो रहा। वायु प्रदूषण के इस मुद्दे पर न तो केंद्र की मोदी सरकार और नहीं राज्य की केजरीवाल सरकार गंभीर है। ऐसे में देश की सर्व्वोच अदालत इस पूरे मामले को देख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मीडिया को भी फटकार लगाई।
बुधवार को सुनवाई के दौरान टेलीविजन पर होने वाली डिबेट्स से किसी से भी ज्यादा प्रदूषण होता है। कोर्ट ने टीवी बहस के कंटेन्ट पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि टीवी पर बहस किसी भी चीज की तुलना में अधिक वायु प्रदूषण पैदा कर रही है। पराली के मुद्दे पर भी सुप्रीम कोर्ट सख्त रहा। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकारों से कहा कि वे किसानों के पराली जलाने पर विवाद करना बंद करें।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि सरकार अगर पराली जलाने को लेकर किसानों से बात करना चाहती है तो बेशक करे, लेकिन हम किसानों पर कोई जुर्माना नहीं लगाना चाहते। दिल्ली के 5-7 स्टार होटलों में बैठकर किसानों पर टिप्पणी करना बहुत आसान है। लेकिन कोई यह नहीं समझना चाहता कि किसानों को पराली क्यों जलानी पड़ती है।
उन्होंने कहा कि किसी भी स्रोत से ज्यादा प्रदूषण टीवी चैनलों पर होने वाली बहस-बाजी से फैलता है। वहां हर किसी का कोई न कोई एजेंडा है। हम यहां उपाय ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पास एक रिपोर्ट है जिसमें लिखा है कि पटाखों का कोई योगदान नहीं है, तो क्या इस रिपोर्ट को मान लें। ऐसी तमाम रिपोर्ट आती हैं कि किसकी गलती है और किसकी नहीं, लेकिन ये वक्त यह सब देखने का नहीं है। यह वक्त है पॉल्यूशन की समस्या को मिलकर दूर करने का।