हुनरः नुरुल हक पुराने वाहनों को हुबूहू लेम्बोर्गिनी और फेरारी बना देते हैं

मुन्नी बेगम / गुवाहाटी
2015 में महान वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने मद्रास के मदुरै में एक समारोह में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा था कि छोटे सपने देखना अपराध है. युवा पीढ़ी को जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बड़े सपने देखने चाहिए. असम के करीमगंज जिले में एक साधारण मोटर मैकेनिक नुरुल हक भी इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे कोई अपने जीवन में बड़े सपने देखता है या सफल होता है.

बचपन से ही नुरुल का हमेशा एक लैम्बोर्गिनी जैसी लग्जरी स्पोर्ट्स कार चलाने का सपना था. अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने हाल ही में एक पुरानी मारुति स्विफ्ट को मॉडिफाई किया और उसे लग्जरी लेम्बोर्गिनी में तब्दील कर दिया. लेम्बोर्गिनी बनाने के लिए अपनी सारी बचत खर्च करने वाले नुरुल यहीं नहीं रुकना चाहते. अब वह एक साधारण कार को फिर से डिजाइन करने और फेरारी की प्रतिकृति में बदलने की योजना बना रहे हैं. मैकेनिक नुरुल हक ने हाल ही में तब सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा को एक संशोधित लक्जरी लेम्बोर्गिनी भेंट की.

‘आवाज-द वॉयस’ से बात करते हुए नुरुल हक ने कहा, ‘‘मैं पिछले 18 सालों से कार रिपेयरिंग का काम कर रहा हूं. शायद इसीलिए मुझे कारों का खास शौक है. कभी-कभी मुझे डर था कि मेरा सपना सच होगा या नहीं. मैं मूल रूप से एक मोटर मैकेनिक हूं और मेरा खुद का गैरेज है, जिसे मारुति कार केयर कहा जाता है. यहां मैं रोजाना चार पहिया वाहनों की मरम्मत करता हूं. एक विशेष दिन में कोविड-19 महामारी के दौरान 2020, लेम्बोर्गिनी बनाने का विचार मेरे दिमाग में आया. मैंने गैरेज में उपलब्ध विभिन्न कार सामग्री के साथ इतालवी मॉडल लक्जरी वाहन ‘लेम्बोर्गिनी’ बनाना शुरू किया. लेम्बोर्गिनी मॉडल बनाने में मुझे आठ महीने लगे और मैंने 6 लाख रुपये खर्च किए अपने सपने को पूरा करने के लिए.’’

नुरुल ने बिना किसी प्रशिक्षण के दो लग्जरी लेम्बोर्गिनी बनाईं. पहला वाहन उन्होंने खुद इस्तेमाल किया और दूसरा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को भेंट किया. उन्होंने बताया, ‘‘मैंने असम में पहली लेम्बोर्गिनी प्रतिकृति कार बनाई है. मैंने एक पुरानी स्विफ्ट को एक लेम्बोर्गिनी में परिवर्तित किया है. मैंने एक लेम्बोर्गिनी बनाने के लिए किसी विशेष सामग्री का उपयोग नहीं किया है. एक पुरानी मारुति स्विफ्ट कार का इंजन, चैसिस और लाइट एक समान हैं. मैंने स्वयं वाहन को डिजाइन किया है और लेम्बोर्गिनी का एक चित्र बनाया है,जो असम में पहली लेम्बोर्गिनी थी. फिर मैंने उसी वाहन का पुनर्निर्माण किया और इसे मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा को पेश करने के लिए एक नए एससी20 मॉडल लेम्बोर्गिनी में बदल दिया. पहली लेम्बोर्गिनी थी पीली और दूसरा सफेद है.’’

नुरुल हक ने असम और उत्तर पूर्व के विभिन्न हिस्सों में मोटर मैकेनिक के रूप में काम करने के बाद कारों को संशोधित करना शुरू किया. वर्तमान में, वह किसी भी भारतीय मॉडल के वाहन को एक लक्जरी वाहन के चित्र के साथ संशोधित कर सकते हैं. वह भविष्य में फरारी का उत्पादन करने की योजना बना रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सबसे पहले नागालैंड के दीमापुर में एक गैरेज से एक मोटर मैकेनिक के रूप में अपना करियर शुरू किया. मैंने वाहनों की मामूली मरम्मत की. फिर मैंने जोरहाट में अपना गैरेज शुरू किया. मैंने धीरे-धीरे कारों को मॉडिफाई करना भी शुरू किया. वर्तमान में, मैंने दो इतालवी मॉडल लेम्बोर्गिनी बनाई हैं. और अगली बार मैं एक और कार को फेरारी में बदलने की योजना बना रहा हूं. अगर सरकार मदद करती है, तो मैं इस तरह की और परियोजनाएं शुरू करूंगा.’’

साभार: आवाज द वॉइस

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