CAA प्रदर्शनकारियों के खिलाफ वसूली नोटिस जारी कर्ण योगी सरकार को महंगा साबित हुआ है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए इन नोटिस को वापस लेने को कहा है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि यूपी सरकार इस मामले में शिकायती, निर्णायक और अभियोजन खुद बन गया है और आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई कर रही है। जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने यूपी सरकार से कहा है कि आप कार्रवाई वापस करें या फिर हम खुद कार्रवाई को निरस्त कर देंगे, क्योंकि यह शीर्ष अदालत की ओर से तय नियम के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित कानून के विपरीत थी, लिहाजा इसे बरकरार नही रखा जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट की Yogi सरकार को फ़टकार
◆'CAA प्रदर्शनकारियों को भेजे वसूली नोटिस वापस लें, वरना हम रद्द कर देंगे'
◆'UP सरकार ने आरोपियों की संपत्तियों को जब्त करने की कार्यवाही के लिए खुद ही शिकायतकर्ता, न्यायकर्ता की तरह काम किया' pic.twitter.com/TrPqc0mBc1
— News24 (@news24tvchannel) February 12, 2022
यूपी सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए अडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद को चेतावनी देते हुए कोर्ट ने कहा कि आपको कानून का पालन करना होगा। आप उसका आकलन करें। हम आपको आखिरी मौका 18 फरवरी तक देते हैं। आप एक कागजी कार्रवाई से इसे वापस ले सकते हैं। यूपी जैसे बड़े राज्यों के लिए 236 नोटिस बड़ी बात नहीं है। हम आपको सुझाव दे रहे हैं, अगर आप नहीं सुनेंगे तो फिर आप नतीजे के लिए तैयार रहें। हम आपको बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश कैसे पालन किए जाते हैं। जब सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुकी है कि न्याय निर्णय ज्यूडिशियल ऑफिसर करेंगे तो फिर कैसे एडीएम ने कार्रवाई सुनी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता दिसंबर 2019 के नोटिस से संबंधित है, जो नोटिस सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के बाद जारी हुए हैं। आप हमारे आदेश को बाईपास नहीं कर सते हैं। आपने कैसे एडीएम को नियुक्त कर दिया, जबकि हमने कहा हुआ था कि ज्यूडिशियल ऑफिसर होने चाहिए। दिसंबर 2019 में जो भी नोटिस जारी हुआ और उस पर जो कार्रवाई हुई है, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय फैसले के खिलाफ है। आप अगले हफ्ते हमें बताएं आप क्या चाहते हैं।