सरजिक आलमः मुश्किलों से जूझते फुटबॉल की दुनिया जीतने की जंग जारी

अरिफुल इस्लाम / गुवाहाटी

प्रतिभावान के लिए गरीबी कभी बाधा नहीं बन सकती. मेहनत और लगन से इंसान हर चीज में कामयाब हो सकता है. यह गुवाहाटी के एक प्रतिभाशाली किशोर ने साबित किया है. फुटबॉल की दुनिया जीतने का सपना देखने वाले युवक हैं सरजिक आलम. 14 साल की उम्र में उन्हें ग्लोबल हो जाने का मौका मिला है. 2022 का इंटरनेशनल यूथ कप पुर्तगाल में होगा. यह किशोर भारत की अंडर-14 टीम की गोलकीपर होगा. उनकी प्रतिभा और कौशल के कारण उन्हें भारतीय जूनियर फुटबॉल टीम के लिए चुना गया है.

छोटी उम्र से ही फुटबॉल में रुचि रखने वाले सरजिक आलम ने अपने गांव में गेंद के रूप में पोमेलो फल के साथ फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था. इस फुटबॉलर का जन्म कामरूप जिले के देकारकुची गांव में हुआ था और वर्तमान में वह यहां हाटीगांव इलाके में किराए के मकान में अपनी मां के साथ रहता है.

सरजिक आलम नौवीं कक्षा में है और गुवाहाटी में उचित बुनियादी ढांचे पर फुटबॉल का अभ्यास करने के लिए लगा रहता है. वह हाटीगांव से सरुसजाई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तक पैदल चलकर जाता था, जो आर्थिक तंगी के कारण अभ्यास करने के लिए लगभग 5 किमी है.

आवाज-द वॉयस के साथ बातचीत में, सरजिक आलम ने कहा, ‘‘पुर्तगाल में अंतर्राष्ट्रीय युवा कप 2022 को कोविड-19 के कारण कुछ समय के लिए टाल दिया गया है. इस बीच, इंग्लैंड के वेस्टहैम यूनाइटेड क्लब के एक पूर्व खिलाड़ी ने मुझे मेरे राष्ट्रीय शिविर के दौरान देखा और कहते हैं कि वह मेरे प्रदर्शन से प्रभावित हैं. उन्होंने मुझे वेस्टहैम युनाइटेड की अंडर-15 टीम में गोलकीपर के रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है.’’

उन्होंने बताया, ‘‘मैं यह नहीं कह सकता कि मुझे पुर्तगाल में अंतर्राष्ट्रीय युवा कप 2022 की नई तारीख की घोषणा होने तक कब जाना होगा. उससे पहले, शायद मैं लंदन जाऊँगा. मैंने लंदन जाने की लगभग सारी व्यवस्था कर ली है, केवल वीजा आना बाकी है.’’

सरजिक आलम असम टीम के लिए खेल चुके हैं और विभिन्न क्लबों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वह असम फुटबॉल टीम के सदस्य हैं और उन्होंने विभिन्न स्थानों पर अपने प्रदर्शन से फुटबॉल प्रशंसकों का दिल जीता है. वह पंजाब के प्रमुख फुटबॉल क्लब मिनर्वा पंजाब एफसी अकादमी के लिए भी खेल चुके हैं.

नवोदित खिलाड़ी मिनर्वा पंजाब एफसी अंडर-14 टीम के लिए गोलकीपर के रूप में खेले.

सरजिक ने कहा, ‘‘इससे पहले, मुझे नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी के साथ प्रशिक्षण का अवसर मिला था. मैं अक्सर उनके साथ प्रशिक्षण लेता हूं. मुख्य कोच खालिद जमील सर ने मुझे नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी के साथ खेलने का मौका दिया. वह वर्तमान में आईएसएल टीम बेंगलुरु एफसी के मुख्य कोच हैं.

मेरे पास जूते की एक अच्छी जोड़ी नहीं थी. खालिद जमील सर ने मुझे जर्सी और जूते प्रदान किए थे.’’

उन्होंने बताया, कोविड-19 के प्रकोप के कारण नॉर्थईस्ट यूनाइटेड का प्रशिक्षण निलंबित कर दिया गया है. फिर मैंने प्रशिक्षण के लिए गुवाहाटी सिटी एफसी ज्वाइन किया. जीसीएफसी के कोच बिटुपोन सोनोवाल सर ने मेरी काफी मदद की. उन्होंने मुझे महामारी के समय में व्यक्तिगत पहल से भी प्रशिक्षित किया.’’

पेले, रोनाल्डो और लियोनेल मेसी जैसे महान फुटबॉलरों से हमेशा आकर्षित रहने वाले सरजिक अब खुद को एक कुशल फुटबॉलर के रूप में स्थापित करने का सपना देखते हैं.

हालाँकि आर्थिक तंगी ने उनके जीवन में हमेशा चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन वह उन सभी को पार करना चाहते हैं और सफलता के शिखर को छूना चाहते हैं. राष्ट्रीय टीम में होने के बावजूद, सरजिक के पास अभी भी अपने अभ्यास के लिए उचित जोड़ी जूते नहीं हैं, न ही वह अपने लिए एक खरीदने का जोखिम उठा सकते हैं. मगर उनके पास एक सफल फुटबॉलर बनने की दृढ़ इच्छाशक्ति है.

साभार: आवाज द वॉइस

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