30 दिसंबर 2006 यानि आज के दिन ही इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई थी। अमेरिका द्वारा दिये जाने के बाद इराक से हमेशा के लिए सद्दाम युग का अंत हो गया था। सद्दाम हुसैन जो इराक के पांचवें राष्ट्रपति थे। आज उनके जाने के बाद इराक एक खंडर में बदल गया जो उनके शासन में कामयाबी की सीढ़ियाँ चड़ रहा था।
सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल 1937 को बगदाद के तिकरित के एक गांव में हुआ था। उन्होने बगदाद में कानून की पढ़ाई की थी। 1957 में सद्दाम ने महज 20 साल की उम्र में बाथ पार्टी की सदस्यता ली थी। जो अरब राष्ट्रवाद का अभियान चला रही थी। आगे चलकर 1962 में इराक में सै’न्य विद्रोह हुआ और सद्दाम इसका हिस्सा बन गए। जिसने उन्हे सत्ता तक पहुंचाया। सत्ता में पहुँचने के बाद उन्होने जनता के की तरक्की के लिए कई काम किए। जिनमे से कुछ नीचे दिये गए ।
- महिलाओं के अधिकार
सद्दाम के शासन में महिलाओं को उनके अधिकार प्रदान किए गए थे। सद्दाम के सत्ता संभालने के बाद महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार देखा गया था। इस बात का खुलासा राजधानी बगदाद स्थित एक एनजीओ वुमेन फ्रीडम ऑर्गनाइजेशन की तरफ से कराये एक सर्वे भी हुआ था। उन्होने न केवल संविधान के जरये मूल अधिकार दिये थे बल्कि उन्हे उच्च पदों पर भी बैठाया था।
- समाज सेवा
साल 2003 में सीबीएस की एक न्यूज रिपोर्ट के अनुसार सद्दाम हुसैन ने अमेरिका के डेट्रॉयट में स्थित एक चर्च को हजारों मिलियन डॉलर का दान दिया था। इस दान से खुश होकर उन्हें इस शहर की चाबी तक सौंप दी गई थी। इसके अलावा डेट्रॉयट के शेल्डन सेक्रेड हार्ट चर्च को भी सद्दाम ने बड़ा दान दिया था। चर्च के पादरी जैकब यासो ने सीबीएस न्यूज को बताया था, ‘वह बहुत ही दयालु इंसान थे और उनका दिल बहुत बड़ा था। वह हमेशा पश्चिमी देशों के साथ सहयोग करते थे।’
- आर्थिक तरक्की
राष्ट्रपति सद्दाम ने देश की अर्थव्यवस्था पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया था। द इकोनॉमिस्ट ने लिखा था, ‘सन् 1970 के दौरान जब उन्होंने एक कमजोर राष्ट्रपति से देश का नियंत्रण अपने हाथों में लिया तो उन्होने कई दर्जन प्रोजेक्ट्स शुरू किए। जिसकी वजह से देश में प्रथम श्रेणी का इंफ्रास्ट्रक्चर देखने को मिला, एक्सप्रेसवे, पावर लाइंस और सामाजिक सेवाओं पर उन्होने खासा ध्यान दिया था। उन्होने तेल का निर्यात भी बढ़ाया। जिसे इराक में अमीरों की संख्या बढ़ी और गरीबी तेजी से कम हुई।
- अनिवार्य शिक्षा
सद्दाम हुसैन ने सत्ता संभालते ही देश में शिक्षा को अनिवार्य कर दिया था। ह्यूमन राइट्स वॉच की तरफ से कहा गया था, ‘सरकार की तरफ से अनिवार्य शिक्षा कानून को पास किया गया जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों के लिए स्कूल जाकर प्राइमरी शिक्षा हासिल करना जरूरी कर दिया गया था। हालांकि मिडिल और उच्च वर्ग की महिलाएं सन् 1920 से ही यूनिवर्सिटीज जा रही थीं, गांवों की महिला और लड़किया अशिक्षित ही थी।’
- इंफ्रास्ट्रक्चर
सद्दाम के शासन काल में इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष धायन दिया गया था। न्यू इंटरनेशनिल्स्ट ने कहा है, ‘स्कूल, सड़कें, सार्वजनिक गृह योजना और मिडिल ईस्ट में सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य तंत्र सद्दाम के ही शासन काल में देखने को मिला था। जिसको फिर अन्य मध्य पूर्व देशों ने भी अपनाया।