‘रेडियो रवीश’ का स्वागत है। एनडीटीवी हिन्दी वाले रवीश कुमार यूट्यूब पर रेडियो रवीश नाम से हाज़िर हुए हैं। इस वक्त पोडकॉस्ट का ज़माना है तो ऐसे में अगर वो अपना पोडकॉस्ट कहीं और लाते तो वो मज़ेदारी नहीं होती जो यूट्यूब पर पोडकॉस्ट लाकर उन्होंने की है।
आगे की चंद लाइनें किसी तुलना के लिए नहीं हैं। सिर्फ़ सामान्य जानकारी के लिए हैं। पत्रकार मैं भी हूँ और रवीश भी हैं। हम दोनों ही सरकार विरोधी नज़रिया सिर्फ़ जनसरोकार की वजह से रखते हैं। पूंजीवादी व्यवस्था में वो भी काम करने और मैं भी काम करने को मजबूर हैं। हमारी यह मजबूरियाँ बनी रहेंगी। बहरहाल, वो बहुत दिखते हैं। मैं कभी कभार कहीं दिख जाता हूँ। उनकी पहचान विशाल है। जिसका फ़ायदा उन्हें मिलता है। मेरी पहचान मेरे लिखे हुए शब्द हैं। लेकिन मेरे इस संवाद का मुद्दा कुछ और है।
टीवी पर रात दिन दिखने की वजह से, साफ़ सुथरी सोच, समाज के पीड़ित लोगों के साथ खड़े होने और उनके सरोकार को अपनी भाषा में ढालकर पेश करने का उनका अपना अंदाज़ है। उन्होंने टीवी पर अपने अंदाज की पत्रकारिता विकसित की है। जो आज के ज़माने में बेहतर है।
मुद्दे पर आते हैं।
एनडीटीवी बुरे दौर से गुजर रहा है। उसके मालिक प्रणय राय ने इसी पूँजीवादी व्यवस्था में चैनल को खड़ा किया। लेकिन इस आधार पर उनकी पत्रकारिता, उनके तेवर, उनके योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। एनडीटीवी पर अडानी का नियंत्रण बढ़ने वाला है। ऐसे में रवीश कुमार भला वहाँ कैसे रह सकते हैं। हो सकता है कि मैं कल को ग़लत भी साबित हो जाऊँ। लेकिन रवीश अपनी छवि से समझौता नहीं करना चाहेंगे।
इसलिए यूट्यूब पर रवीश के नए अंदाज रेडियो रवीश का स्वागत कीजिए। इस बात के लिए तैयार रहिए कि अगर वो यूट्यूब पर सक्रिय होते हैं तो उनका चैनल जमकर सब्सक्राइब करिए।
रवीश कुमार का चैनल सब्सक्राइब कर आप उनको और ज़्यादा जवाबदेह पत्रकार बना सकते हैं। देश में जो माहौल है, जो हालात हैं, उनमें रवीश, आशुतोष, अजीत अंजुम, पुण्य प्रसून वाजपेयी जैसे टीवी वाले चेहरों का यूट्यूब पर बना रहना ज़रूरी है। हमारे जैसे लोग भी अपनी तरह से लगे ही हुए हैं।
हम सारे लोग आपको कंटेंट मुफ़्त में पढ़ाते और दिखाते हैं। आप हमें सब्सक्राइब करने और कराने की ज़िम्मेदारी तो ले ही सकते हैं। आपकी जेब से कुछ नहीं जा रहा है। आप इंटरनेट डेटा पैक किसी अंबानी, मित्तल की दुकान से ही ख़रीदते होंगे। हमें उससे कोई फ़ायदा नहीं है। इसलिए आपका हमारा संवाद बना रहना ज़रूरी है।
आप यक़ीन मानिए। रवीश, अजीत अंजुम या पुण्य प्रसून वाजपेयी मुझे जानते भी नहीं हैं। ये बातें मैंने अपनी तरफ़ से लिखी हैं। यह कोई पेड कंटेंट नहीं है। नीचे रवीश कुमार के यूट्यूब चैनल का लिंक कॉमेंट बॉक्स में मिलेगा। जमकर सब्सक्राइब करिए ताकि रवीश कुमार पर दबाव और बढ़ सके।
लिंक ये है-
https://youtube.com/channel/UC0yXUUIaPVAqZLgRjvtMftw
साभार: यूसुफ़ किरमानी
Very nice
Simply great adventure. We are and will always be with you.
Raveesh mujhe bahut pasand hai
Wish him all the best!
Ravish Ek sacha patrakar. We are and we will be always with you. Dusri pari ki Subhkamny
तुम सब की दुकानें बहुत जल्दी ही बंद होने वाली है और तुम सड़क पर आने वाले हो अभी भी हिंदू विरोधी मानसिकता से बाहर आ जाओ वरना भविष्य बहुत खराब दिख रहा है
दोहरी मानसिकता की पत्रकारिता निष्पक्षता के अर्थ को स्याह करती है, और उस सम्मान से परे रखती है जिसके वो हकदार हो सकते थे
This is a very courageous move on your part to advertise for your fellow reporter on your own. Keep it up. Be strong and in the face of fear and discrimination, stand as tall as you can. Much respect to you and your fellow reporters who are clinging to the idea of India as we knew it.
Ravish Kumar is great jurnalis