रविश कुमार: 2009 में जूनागढ़ में जिन चार चीतों को लाया गया, उनका क्या हुआ ?

13 साल पहले जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब सिंगापुर से चार चीता लाए थे। जूनागढ़ में इन चीतों को रखा गया था। 2009 की छपी ख़बरों से पता चलता है कि चीता के बदले सिंगापुर को गिर के सिंह दिए जाएँगे।तब मीडिया गोदी मीडिया नहीं बना था तो इसे समाचार की तरह कवर किया गया था। 13 साल बाद इसे मेगा इवेंट बना दिया गया। ख़बरों में लिखा गया है कि केंद्र सरकार की योजना थी। उस समय के दस्तावेज और पत्रकार ही बेहतर बता सकते हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने छापा है कि 2009 के पहले भी तीन चीता लाए गए थे। दो चीता दिल्ली के चिड़ियाघर में रखे गए और एक को हैदराबाद में रखा गया। तीनों चीता मर गए। कई अख़बारों ने लिखा है कि सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी ने गुजरात सरकार के इस आग्रह को मंज़ूरी दी थी कि राज्य में चीता लाकर उसकी आबादी बढ़ाने के प्रयास किए जाएँ। 2012 की ख़बर है कि सिंगापुर से लाई गई मादा चीता मर गई है। मादा चीता के पहले एक नर चीता की भी मृत्यु हो गई थी। एक और जगह ख़बर छपी है कि 2014 तक आते आते सभी चीता की मृत्यु हो गई ।

जूनागढ़ से पहले चीन चीता की मौत, जूनागढ़ में चार चीता की मौत। सात चीता को बसाने का प्रोजेक्ट फेल हो गया। फिर से चीता लाया गया है। क्या प्रधानमंत्री ने जूनागढ़ में चीता बसाने की नाकामी पर भी कुछ कहा है?

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चीता को लाने और बसाने के गंभीर प्रयास नहीं हुए। मैंने उनका भाषण नहीं सुना। क्या उन्होंने जूनागढ़ में इस प्रोजेक्ट के फेल हो जाने की बात कही थी ? इस वीडियो में आप गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी को जूनागढ़ में चीता लाने के प्रोजेक्ट पर बोलते हुए सुन सकते हैं।

साभार: रविश कुमार

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