आठ साल तक दिन-रात नफरती बयान देने, नफरती बहस में भाषण से बीजेपी ने सूत्रों के हवाले से मीडिया से कहलवाया है कि नफरती बयान देने वाले प्रवक्ताओं को हिदायत दी गई है। जिस पार्टी की सरकार में गोली मारे …के नारे लगाने वाले को राज्य मंत्री से केंद्रीय मंत्री बनाया जाता है। एक बार नहीं दो तीन बार मंत्री जी नारे लगाते हैं और जवाब वही आता है गोली मारो…को। ज़ाहिर है इसी जवाब के लिए देश के ग़द्दारों का नारा लगाया जा रहा था।
जिस पार्टी की सरकार की शह पाकर तमाम तरह के धर्म गुरु धर्मांध बातें पैदा करते रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ या तो चुप्पी रही या कार्रवाई की ख़ानापूर्ति की गई। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है नफरती भाषण पर सुप्रीम कोर्ट में बहस। कितने दिनों से नफरती भाषण देने वालों पर लगाम और कार्रवाई को लेकर बहस हो रही है। ज़ाहिर है इन्हें समर्थन था और समर्थन रहेगा।
गोदी मीडिया के खिलाफ सरकार एक्शन नहीं ले सकती है क्योंकि गोदी मीडिया ही पार्टी है।आप प्रवक्ता निकाल सकते हैं मगर पार्टी को भंग नहीं कर सकते। यूपी और बंगाल चुनाव में नेताओं के बयान निकाल कर सुनें जा सकते हैं। इशारों की भाषा में कैसे एक समुदाय को टारगेट किया जाता रहा है।