अगर डिबेट करने वाला कोई ऐंकर कहे कि वह बहुत काम करता है तब तो गोदी और हाफ़ गोदी चैनलों के रिपोर्टरों को गर्म रेत में नंगे बदन लेट जाना पड़ेगा। वे अपनी पीठ के छाले दिखा कर भी दुनिया को यक़ीन नहीं दिला सकते कि काम तो वे करते हैं, ऐंकर केवल कपड़े बदलता है। आज किसी डिबेट ऐंकर को कहते सुना कि वह बहुत काम करता है। जब वह यह बात कह रहा था तब डिबेट में बैठे फ़ालतू लोग चुपचाप सुनते रहे थे।
सच बात ये है कि डिबेट करने वाला ऐंकर न्यूज़ चैनल के किसी भी कर्मचारी से सबसे कम काम करता है। उसका काम इतना कम होता है कि चाहे तो वह एक ही कपड़े में एक साल ऐंकरिंग कर सकता है, कपड़े से पसीने की बदबू भी नहीं आएगी। हर चैनल में डिबेट शो है और हर शहर में चार फ़ालतू लोग हैं जो डिबेट में पहुँच जाते हैं।
ऐंकर डिबेट से ठीक पाँच मिनट पहले काम करता है, जब वह मेक अप के लिए जाता है या जाती है। और स्टुडियो तक जाने में दस बीस कदम चलता है। इसके अलावा वह कोई काम नहीं करता है। डिबेट शो से चैनल को न्यूज़ जमा करने में पाँच रुपया खर्च नहीं होता। केवल बिजली बिल का ख़र्चा आता है और बिना लागत का कंटेंट बन जाता है। आप किसी भी चैनल के गेस्ट कोआर्डिनेटर से पूछ लें। मेरी बात सही निकलेगी।
1 जून के प्राइम टाइम का अंश। आप भारत के लिए कुछ करना चाहते हैं तो मैं सबसे आसान काम बताता हूँ। इस काम में आपके कपड़े भी गंदे नहीं होंगे। गोदी मीडिया और हाफ़ गोदी मीडिया देखना बंद कर दीजिए। टीवी पर न यू ट्यूब पर, कहीं मत देखिए। कभी मत देखिए।