राजस्थान: मदरसे द्वारा स्थापित अस्पताल गांव के सभी समुदायों को प्रदान कर रहा स्वास्थ्य सुविधाएं

रिपोर्टर – इंडिया टुमारो
अजमेर (राजस्थान) | राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित ऊंत्रा गांव में सभी समुदायों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए मदरसे द्वारा एक अस्पताल स्थापित किया गया है. इस तरह का यह पहला अस्पताल है जहाँ ग्रामीणों की स्वास्थ्य की देखभाल की जा रही है. चिकित्सा सुविधाओं की कमी वाले ग्रामीण क्षेत्र में यह अस्पताल सभी को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है. यह अस्पताल ज़कात और अन्य चैरिटी फंड की मदद से संचालित होता है.

मदरसा परिसर में बने इस अस्पताल ने दिसंबर 2021 में अपनी स्थापना के बाद से अपनी 40 बेड वाली क्षमता के साथ महिलाओं की 200 डिलीवरी करवाई है, जिसमें नौ सिज़ेरियन सेक्शन के ज़रिए हुई हैं.

राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करते हुए इस अस्पताल की स्थापना इदारा दावत-उल-हक ने की थी. यह संस्था 1998 से धार्मिक शिक्षा प्रदान कर रही है और वर्ष 2009-10 में कई स्कूल चलाने के लिए राज्य सरकार के शिक्षा विभाग से रजिस्ट्रेशन भी करवाया गया है. संस्था द्वारा संचालित साइंस और बायोलॉजी के 30 छात्रों वाले एक स्कूल को उच्च माध्यमिक स्तर पर अपग्रेड भी किया गया है.

गौरतलब है कि दावत-उल-हक अस्पताल राजस्थान में एक इस्लामिक मदरसे द्वारा प्रदान की जा रही पहली चिकित्सा सुविधा है. अस्पताल सभी धर्मों, जातियों और पंथों के लोगों को मामूली कीमतों पर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करता है. इसके अलावा हॉस्पिटल में इमरजेंसी, एम्बुलेंस और मेडिकल स्टोर की सुविधा चौबीसों घंटे उपलब्ध है, वहीं अस्पताल ने क्षेत्र में महिलाओं की इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी में उल्लेखनीय योगदान भी दिया है.

इदारा दावत-उल-हक के प्रमुख मौलाना मोहम्मद अयूब कासमी ने कहा कि अस्पताल में इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी की पहल क्षेत्र की उन महिलाओं के लिए एक वरदान है, जो पहले पर्याप्त बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में गर्भावस्था और प्रसव के दौरान चिकित्सा देखभाल से वंचित थीं. अस्पताल में चार फुल-टाइम डॉक्टर हैं, जिनमें एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, 28 नर्सिंग कर्मी और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं.

इस इस्लामिक मदरसा के अनुसार अजमेर ज़िले के ऊँटरा और अन्य गाँवों में चल रहे इसके 14 स्कूलों, मदरसों और मकतबों में लड़कियों सहित 4,600 विद्यार्थी हैं, जिनमें धार्मिक और आधुनिक शिक्षा दोनों प्रकार की व्यवस्था की गई है और छात्रावास की सुविधा भी प्रदान की गई है. अस्पताल ग्रामीणों को लाभान्वित करने के लिए संस्थान के कार्यों में नवीनतम सुविधाओं से युक्त है.

अजमेर से 26 किलोमीटर दूर स्थित ऊंत्रा में 6,000 की आबादी है, गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जो रोगियों को केवल किशनगढ़ तहसील मुख्यालय के साथ-साथ ज़िला मुख्यालय के प्रमुख अस्पतालों में रेफर कर देता है. दावत-उल-हक अस्पताल ने एक एक्स-रे मशीन और एक सोनोग्राफी मशीन लगाई है, जो बेहतर काम करती है.

54 वर्षीय मौलाना कासमी ने बताया कि वर्तमान में अस्पताल में बच्चों के लिए एक आईसीयू और एक स्पेशल केयर यूनिट का निर्माण किया जा रहा है, वहीं एक पूर्ण बाल चिकित्सा वार्ड का निर्माण और 100 बेड वाले नर्सिंग कॉलेज की स्थापना की परियोजना पर भी काम चल रहा है. एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शबाना की उपलब्धता के कारण हॉस्पिटल में डिलीवरी की वजह से क्षेत्र के ग्रामीणों के बीच अस्पताल लोकप्रिय हो गया है.

दिल्ली और हापुड़ के कुछ प्रतिष्ठित मदरसों में तालीम हासिल करने वाले मौलाना कासमी ने कहा कि, हमारा संस्थान धार्मिक और आधुनिक शिक्षा का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है. उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए आगे बताया कि, “हमारे संस्थानों से पढ़े छात्र मस्जिदों में इमाम हैं, उनमें से कई शिक्षक, रेलवे कर्मचारियों और राजस्व अधिकारियों के रूप में भी काम कर रहे हैं.”

अस्पताल के डॉक्टर सामान्य चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं और वे मौसमी बीमारियों से पीड़ित रोगियों का नियमित रूप से इलाज करते हैं. इसके अलावा, मदरसा पहले से ही ग्रामीणों के लगभग 250 मोतियाबिंद के ऑपरेशन और अन्य आंखों की सर्जरी को कर चुका है, यह ऑपरेशन किशनगढ़ के एक निजी अस्पताल में होते हैं. मदरसे का चिकित्सा संस्थान 2010 से एक परोपकारी कार्य के रूप में यह सब ऑपरेशन प्रायोजित करवाता है.

अजमेर के जवाहरलाल नेहरू सरकारी अस्पताल में नर्सिंग अधिकारी कीर्ति मेहता, जिन्होंने मदरसे में चिकित्सा सुविधा परियोजना की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ने कहा कि, “इससे क्षेत्र में उच्च शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद मिली है. यहां के गांव स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की कमी के कारण लंबे समय से समस्याओं का सामना कर रहे हैं. उन्हें राहत देने का यह पहला गंभीर और सार्थक प्रयास है.”

चूंकि राजस्थान इस सप्ताह राज्य विधानसभा में इस विषय पर एक विधेयक पारित होने के बाद स्वास्थ्य के अधिकार का कानून बनाने वाला देश का पहला और एकमात्र राज्य बन गया है, ऐसे में ऊँटरा गांव में की गई पहल से राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी प्रत्येक व्यक्ति को वैधानिक अधिकार के रूप में आपातकालीन और अन्य चिकित्सा उपचार सुविधाएं मिल सकें.

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