अपना चेहरा न चमकने का रोना रोने वाले PM ने ‘थैंक्यू मोदीजी’ के विज्ञापन पर खर्च किए 18 करोड़

भाजपा द्वारा शासित राज्यों में प्रधानमंत्री मोदी को ‘थैंक्यू’ बोलने के लिए 18 करोड़ से ज़्यादा रूपए पानी में बहा दिए गए। इन राज्यों ने विभिन्न योजनाओं को लागू करने के लिए पीएम को धन्यवाद करने वाले पोस्टर लगाए गए। इसमें कुल 18 करोड़ 3 लाख 89 हज़ार 252 रूपए खर्च किए गए। ये विज्ञापन कोरोना महामारी के दौरान और उसके बाद लगाए गए।

वैसे तो पीएम मोदी कहते हैं कि विज्ञापनों में उनकी भी फोटो चमक सकती है, पर वो जिंदगी में बदलाव लाने के लिए जीते हैं। अन्य पार्टियों पर प्रचार में रूपए फूंकने का आरोप लगाने वाले नरेंद्र मोदी खुद ही अपने प्रचार के लिए करोड़ों रूपए खर्च कर डाल रहे हैं।

BBC हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात सरकार द्वारा ‘2 करोड़ 10 लाख 26 हज़ार 410 रूपए’ खर्च किए गए, तो वहीँ उत्तराखंड सरकार ने ‘2 करोड़ 42 लाख 84 हज़ार 198 रूपए’ खर्च किए। यूँ तो सरकारों की ज़िम्मेदारी होती है कि जनता को उनके फायदे की योजनाओं के बारे में जानकारी दें।
लेकिन ये विज्ञापन जानकारी देने से इतर, नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देने के लिए लगाए गए थे। साफ़-साफ़ शब्दों में कहें तो भाजपा सरकार के प्रचार के लिए लगाए गए थे।

हमारे देश में जन कल्याणकारी योजनाओं पर जमकर चर्चा होती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को फ्री करने या छात्र-छात्राओं को सस्ते में उच्च शिक्षा उपलब्ध करवाने पर उसे टैक्स की बर्बादी बताया जाता है। लेकिन सत्तारूढ़ पार्टियों द्वारा जनता का पैसा अपने प्रचार के लिए पानी की तरह बहाने पर कोई सवाल नहीं होता।

‘थैंक्यू मोदीजी’ वाले विज्ञापनों से राजनीतिक फायदे लेने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, बीबीसी गुजराती ने RTI डाली जिसके ज़रिए ये सभी आंकड़ें सामने आए हैं। इस RTI में 21 जून 2021 से ‘थैंक्यू मोदीजी’ वाले सरकारी विज्ञापनों पर हुए खर्च के बारे में पूछा गया था।

सरकारी विज्ञापनों में कोरोना वैक्सीन, पीएम आवास योजना और ‘ ‘नल से जल’ योजना के लिए पीएम मोदी को थैंक्यू बोला गया। इस काम के लिए कर्नाटक सरकार ने 2 करोड़ 19 लाख रूपए खर्च किए, तो वहीँ हरियाणा सरकार ने 1 करोड़ 37 लाख 43 हज़ार 490 रूपए खर्च किए।
जिस वैक्सीन को उपलब्ध करवाने की ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री की थी ही, उसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया गया। धन्यवाद करने के लिए करोड़ो रूपए खर्च किया गया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार सरकारी विज्ञापनों में राजनीतिक शख़्सियत की तारीफ़ करने से बचना चाहिए। लेकिन यहाँ सरकारी योजनाओं के प्रचार के नाम पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाई जाती है, उन्हें थैंक्यू बोला जाता है, चुनावों में इसका फायदा लिया जाता है।
नरेंद्र मोदी चुनावी प्रचार में कहते तो हैं कि उन्हें रोज़ 2-3 किलो गालियां खानी पड़ती हैं। लेकिन वो इस बात को छुपाए रखते हैं कि जनता के पैसे से वो अपना प्रचार करवाकर वाह-वाही लूट रहे हैं, जनता को बेवक़ूफ़ बना रहे हैं।

साभार: बोलता हिदुस्तान

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