सोशल मीडिया पर मुस्लिम पत्रकारों को धमकाना इन दिनों आम बात हो गई है। एक धारणा बनाई जा रही है कि सोशल मीडिया पर टिप्पणियों का कोई महत्व नहीं है जबकि तथ्य यह है कि सोशल मीडिया पर ये टिप्पणियां लोगों की राय बनाने में मदद करती हैं जो एक खतरनाक प्रवृत्ति है।
जाने-माने मुस्लिम पत्रकार राणा अयूब को 27 महीनों में 85 लाख धमकी भरे ट्वीट मिले। उन्होंने इन ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट शेयर किए लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
हिंदुत्व विचारधारा वाले लोग, जो मुस्लिमों के प्रति अन्याय को उजागर करने वाले ट्वीट्स पर नाराज हो जाते हैं, जैसे राणा अयूब, मोहम्मद जुबैर और अन्य। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बल्कि सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रही है, जिसके खिलाफ ट्विटर ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में अपनी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का मामला दायर किया है।
राणा अयूब उन पत्रकारों में सबसे ऊपर हैं, जिन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ट्विटर पर बड़े पैमाने पर निशाना बनाया जाता है।
सरकार द्वारा उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसाने की कोशिश के बाद उनके खिलाफ उत्पीड़न अभियान तेज हो गया, जब वह कोरोना लॉकडाउन के दौरान राहत कार्य कर रही थीं।
ऑल्ट न्यूज़ के संपादक मोहम्मद जुबैर को सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ को उजागर करने के लिए बड़े पैमाने पर निशाना बनाया जा रहा है। मोहम्मद जुबैर फिलहाल गिरफ्तार हैं।