ब्रिटिश अभिनेता रिज़ अहमद ने गुरुवार को फिल्मों के जरिये मुस्लिमों को बदनाम करने को लेकर नाराजगी जाहीर की है। दरअसल, यूएससी एनेनबर्ग के अध्ययन में खुलासा हुआ कि फिल्मों में नकारात्मक छवि गढ़ मुसलमानों को बदनाम किया जा रहा है और उनके खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है।
स्टडी में सामने आया कि 2017-2019 की टॉप-ग्रॉसिंग फिल्मों में सिर्फ 9.5% में एक ऑनस्क्रीन मुस्लिम चरित्र था। उन किरदारों में से 2% से भी कम की बोलने की भूमिका थी। इस दौरान भी उन्हे बाहरी, या ध’मकी देने वाले के रूप में दिखाया गया। इतना ही नहीं लगभग एक तिहाई मुस्लिम पात्र हिं’सा के अप’राधी थे और आधे से अधिक का लक्ष्य हिं’सा था।
I'm fed up of seeing Muslim characters on screen either negative or non existent. The industry must change. Our new study proves what many of us always felt about #MuslimsInFilm. The cost is measured in hate & lost lives. Full speech here: https://t.co/bsfpQw4Wfe pic.twitter.com/2itt6IaESB
— Riz Ahmed (@rizwanahmed) June 10, 2021
ऐसे में अब ऑस्कर नॉमिनी’ और ‘प्राइम टाइम एमी अवार्ड’ के विनर रिज अहमद ने एक फंड शुरू किया है। जो मुस्लिम कहानीकारों को उनके करियर के शुरुआती दौर में सहायता करेगा।
अहमद ने एक बयान में कहा, “स्क्रीन पर मुसलमानों का प्रतिनिधित्व उन नीतियों को लेकर जो लोग मा’रे जाते हैं, जिन देशों पर आक्र’मण होता है।” उन्होंने कहा, “डेटा झूठ नहीं बोलता है। यह अध्ययन हमें लोकप्रिय फिल्म में समस्या के पैमाने को दिखाता है, और इसकी लागत खोई हुई क्षमता और खोए हुए जीवन में मापा जाता है।”
खान ने कहा, “मुसलमान पूरी दुनिया में रहते हैं, लेकिन फिल्म दर्शकों को मुसलमानों को देखने के बजाय केवल इस समुदाय का एक संकीर्ण चित्र दिखाई देता है: बिजनेसमेन, दोस्त और पड़ोसी जिनकी उपस्थिति आधुनिक जीवन का हिस्सा है।”