”न्यू इंडिया को समाजसेवी-बुद्धिजीवी नहीं बल्कि दंगाई, लुटेरे और डकैत चाहिए”

कृष्णकांत 

यह मेधा पाटेकर हैं। अपने ऑफिस में अपने बिस्तर पर बैठी दाल-रोटी खा रही हैं। यह कमरा उनके सोने का भी कमरा है, उनके पढ़ने का भी और उनका ऑफिस भी। उनका बिस्तर है- जमीन पर एक चटाई, एक तकिया, एक चादर। बाकी कमरा कागजात और किताबों से भरा। 5 साल पहले मैं उनके ऑफिस गया था। कोई 5 या 6 दिन यहां रहा था। उनके दफ्तर का खाना उतना ही साधारण होता है जैसे किसी आदिवासी के घर का खाना। उबली हुई पतली दाल बिना छौंक वाली और बड़ी-बड़ी मोटी चपाती।

यह तस्वीर उनके बड़वानी स्थित ऑफिस की है। मेधा जी एक सूती धोती, गले में एक डोरी से लटका चश्मा और हवाई चप्पल पहने आदिवासी इलाकों से लेकर दिल्ली तक खाक छानती रहती हैं। जब मैं इनके पास गया था, उस वक्त सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों का मुद्दा जोर पकड़ा हुआ था क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांध का उद्घाटन कर दिया था और विस्थापितों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला था।

हर दिन इस दफ्तर में दर्जनों या सैकड़ों लोग आते थे। ये वो लोग थे जिनकी जमीन-खेत या घर-बार सब कुछ बांध क्षेत्र में चला गया था और उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला था। मेधा पाटेकर का काम था हर दिन अलग-अलग दफ्तरों में इन लोगों की याचिकाओं को पहुंचाना और उनके लिए उचित मुआवजा मांगना।

किसी समाज का पतन कैसे होता है यह देखने के लिए मेधा पाटेकर का उदाहरण सबसे मुफीद है। देश की सबसे गरीब और लाचार जनता की पूरे जीवन सेवा करने के बाद वे चुनाव लड़ीं तो जनता ने उनका साथ नहीं दिया। अब बाकी समाजसेवियों की तरह उन्हें भी प्रताड़ित किया जा रहा है।

मेधा जी और उनके एनजीओ पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 13 करोड़ का गबन किया है। इसे लेकर उनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। मेधा पाटेकर ने अपनी पूरी जिंदगी पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने में लगा दी। सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए मेधा पाटेकर एकमात्र आवाज रहीं। उन्होंने सैकड़ों आदिवासियों गरीबों और और कमजोर लोगों को उचित मुआवजा भी दिलवाया लेकिन आज उन्हें भ्रष्ट बताकर उन्हें जेल में डालने की कवायद चल रही है।

तीस्ता सीतलवाड़ गुजरात के पीड़ितों की आवाज़ उठाने के लिए जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट में आदिवासियों के नरसंहार की जांच की मांग करने वाले हिमांशु कुमार पर कल कोर्ट ने 5 लाख का जुर्माना लगा दिया है। फेक न्यूज का भंडाफोड़ करने वाले जुबेर जेल में हैं। अपनी युवावस्था में हमारे लिए जितने लोग समाज के आदर्श थे, आज वे सब अपराधी हैं और समाज में जहर घोलने वाले निष्कंटक राज कर रहे हैं। जो जितना बड़ा जहरीला, उसको उतना बड़ा पद।

यह न्यू इंडिया का अमृतकाल है। इसे समाजसेवी और बुद्धिजीवी नहीं चाहिए। इसे दंगाई, लुटेरे और डकैत चाहिए। आपको अमृतकाल की बधाई।

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