राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रोहिणी में स्थित आध्यात्मिक विश्व विद्यालय में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को सुनकरदिल्ली हाई कोर्ट ने भी हैरानी व्यक्त की है। इस आश्रम का संचालक वीरेंद्र देव दीक्षित है। जो अपने आपको शिव का अवतार बताता है। वह विश्व विद्यालय में महिलाओं को को खुले में नहाने के लिए मजबूर करता और नग्न हालत में ही उनकी परेड कराता था।
75 वर्षीय बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित पर 100 से ज्यादा महिलाओं के शारीरिक शोषण का आरोप है। 2017 में इस आश्रम पर सीबीआई और पुलिस ने छापा मारकर यहां से 41 नाबालिग़ लड़कियों को छुड़ाया था। सीबीआई ने बाबा के ख़िलाफ़ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है। लेकिन पांच साल बाद भी भारत की तमाम सुरक्षा एजेंसियां उसे पकड़ने में नाकामयाब रही।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने कहा कि हम सरकार को आश्रम पर कब्जा करने के निर्देश देने जा रहे हैं। आश्रम में महिलाएं अमानवीय हालात में रह रहीं थी। कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति ऐसे अमानवीय हालात में अपनी इच्छा से रह रहा है, इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट तथ्यों से आंखें नहीं मूंद सकता।
इस मामले में जनहित याचिका दायर करने वाली एक ग़ैर-सरकारी संस्था के वकील के मुताबिक़, ”वीरेंद्र देव दीक्षित अपने आपको शिव का अवतार बताते थे और शिवलिंग की तरह अपने लिंग की पूजा करने को कहते थे।” आज भी इस आश्रम में 150 से ज़्यादा लड़कियां मौजूद हैं जो कि कथित रूप से जानवरों की तरह रखी जा रही हैं। वहीं अध्यात्मिक विश्वविद्यालय की तरफ से पेश वकील ने आरोपों को झूठा करार दिया।