स्कूल न जाने वाले बच्चों में सबसे बड़ी संख्या मुस्लिमों की, एक करोड़ से ज्यादा बच्चे शिक्षा से वंचित

देश का दूसरा सबसे बड़ा समुदाय आजादी के 70 साल बाद भी शिक्षा से वंचित है। आज भी देश में स्कूल न जाने वाले बच्चों में सबसे ज्यादा संख्या मुस्लिम बच्चों की है। एक सर्वे के मुताबिक देश में एक करोड़ से ज्यादा मुस्लिम बच्चे स्कूल नहीं जा पाते है। ऐसे में अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने शिक्षा के अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान पर ज़ोर दिया।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर ) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 23,487 अल्पसंख्यक स्कूल हैं। इन स्कूलों में अल्पसंख्यक समुदाय के 38, 31,461 छात्र पंजीकृत हैं। वहीं, गैर अल्पसंख्यक समुदाय के 63,89,214 छात्र पंजीकृत हैं। धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में मुस्लिम अल्पसंख्यक स्कूलों की हिस्सेदारी महज़ 22.75 फीसदी है और समुदाय के स्कूलों में गैर-अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की संख्या का प्रतिशत सबसे कम है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में ईसाई समुदाय की हिस्सेदारी 71.96 फीसदी है, जबकि कुल धार्मिक आबादी में समुदाय की हिस्सेदारी 11.54 प्रतिशत है। अध्ययन के मुताबिक, ‘‘सभी समुदायों में, 62.50 फीसदी विद्यार्थी गैर-अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित है जबकि 37.50 प्रतिशत अल्पसंख्यकों समुदायों से ताल्लुक रखते हैं।”

आंकड़ों के मुताबिक देशभर में पांच साल की उम्र से लेकर 14 साल की उम्र तक के 7.95 प्रतिशत अल्पसंख्यक छात्र ही माइनारिटी स्कूलों से शिक्षा हासिल कर रहे हैं। बाकी अल्पसंख्यक छात्र या तो शिक्षा से ही महरूम हैं या अन्य स्कूलों में पंजीकृत हैं। देशभर में अल्पसंख्यक छात्रों की माइनारिटी स्कूलों में सबसे कम दाखिला प्रतिशत बिहार और झारखंड के स्कूलों में हैं।

बिहार में मात्र 0.30 प्रतिशत और झारखंड में 0.10 प्रतिशत अल्पसंख्यक छात्र माइनारिटी स्कूलों में पंजीकृत हैं। वहीं, सबसे अधिक दाखिला प्रतिशत पुडुचेरी और महाराष्ट्र में है। पुडुचेरी में 38.97 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 37.32 प्रतिशत अल्पसंख्यक छात्र माइनारिटी स्कूलों में पंजीकृत हैं।

अध्ययन में कहा गया है, “बौद्ध समुदाय कुल धार्मिक आबादी का 3.38 प्रतिशत है और उसका भारत के कुल धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में 0.48 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। जैन समुदाय धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी में 1.90 प्रतिशत है और धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में उसकी हिस्सेदारी 1.56 प्रतिशत है।”

पारसी समुदाय कुल धार्मिक आबादी का 0.03 प्रतिशत है और भारत में कुल धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में उसकी हिस्सेदारी 0.38 प्रतिशत हिस्सा है। अन्य धार्मिक समुदायों (आदिवासी धर्मों, बहाई, यहूदियों सहित) का धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी में हिस्सेदारी 3.75 प्रतिशत हैं और धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में उनकी हिस्सेदारी 1.3 प्रतिशत है।

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