एम मिश्र / लखनऊ
अगर कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश हो, तो कोई भी चुनौती मुश्किल नहीं. केडी सिंह बाबू हॉकी सोसाइटी के हॉकी प्रशिक्षु शाहरुख अली कुछ ऐसा मुकाम हासिल करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा चुके हैं. शाहनजफ गेट पर एक शख्स तसव्वुर लोहे का बक्सा लेकर बैठे दिखते हैं. वे मोपेड और स्कूटी की मरम्मत करते है, जिससे उनके परिवार का गुजारा होता है. तमाम मुश्किलों के बावजूद उन्होंने बेटे की हॉकी ट्रेनिंग में कोई कमी नहीं आने दी. परिणाम आज सामने है. जब 12 साल के शाहरुख अली ने नेशनल सब जूनियर हॉकी चौंपियनशिप के फाइनल में हैट्रिक जमाकर यूपी को पहली बार विजेता बनाया. प्रतियोगिता में शाहरुख के नाम कुल पांच गोल रहे.
बाबू सोसाइटी में हॉकी कोच रहे राशिद अजीज बताते हैं कि करीब सात साल पहले शाहरुख अपने पिता तसव्वुर अली और भाई आमिर अली के साथ चंद्रभानु गुप्त मैदान में आया. उस समय उसकी उम्र पांच साल रही होगी, लेकिन हॉकी खेलने के जज्बे ने उसे जल्द ही बड़ा खिलाड़ी बना दिया. लखनऊ में होने वाली सब जूनियर केडी सिंह बाबू हॉकी में उसने नौ साल की उम्र में जगह बनाई और अपनी स्किल से बड़े-बड़े खिलाड़ियों को अपना मुरीद बना लिया. कुछ ही दिनों में शाहरुख यूपी सब जूनियर टीम के स्थायी सदस्य हो गए और नेशनल सब जूनियर हॉकी चौंपियनशिप के प्रदर्शन से उसे हीरो बना दिया. साई कोच ने बताया कि शाहरुख की सबसे बड़ी खासियत डी के अंदर का खेल है. अगर शाहरुख विपक्षी टीम की डी पर किसी तरह गेंद हासिल कर लेते है, तो गोल होने का प्रतिशत बढ़ जाता है.
पहले आमिर और फिर शाहरुख, कभी नहीं सोचा था कि बेटे हॉकी खेलेंगे. तसव्वुर कहते हैं कि शौकिया तौर पर उन्हें चंद्रभानु गुप्त मैदान में ले गया था. आज उनके प्रदर्शन को देखकर गर्व महसूस होता है. आज शाहरुख के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगता है. दुआ करता हूं कि एक दिन वो देश के लिए खेलकर ओलंपिक में पदक जीते.
हॉकी ओलंपियन एवं बाबू सोसाइटी के सचिव सैयद अली का कहना है कि शाहरुख अली ने आज एक बड़ा मुकाम हासिल किया है. चंद्रभानु गुप्त मैदान में ट्रेनिंग के दौरान शाहरुख ने खुद को मंझे हुए हॉकी प्लेयर के रूप में स्थापित किया. उम्मीद है कि उसका कॅरिअर बहुत आगे तक जाएगा.
साभार: आवाज द वॉइस