-काविश अज़ीज़
लखनऊ | एक गरीब परिवार की गोल्ड मेडलिस्ट बेटी लखनऊ के इंदिरा नगर में एक छोटे से घर में रहती है. इस होनहार छात्रा का नाम इक़रा है जिसे लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बेस्ट स्टूडेंट् का अवार्ड मिलने वाला है.
इस अवार्ड के पीछे घर वालों की बेशुमार मेहनत और खून पसीने की कमाई है. इकरा के पिता रिज़वान की स्प्रे पेंटिंग की नौकरी करते थे मगर कोविड काल में नौकरी चली गई. नौकरी जाने के बाद उन्होंने मास्क बेचने का काम शुरू किया. इस काम में इकरा की माँ तरन्नुम ने काफी सहयोग किया.
कोरोना में नौकरी गई लेकिन बच्चों की पढाई के लिए परिवार ने संघर्ष जारी रखा
कोरोना काल में नौकरी जाने के बाद भी इक़रा के पिता ने बच्चों की पढाई के लिए संघर्ष जारी रखा. इक़रा की माँ तरन्नुम ने घर पर मास्क सिलना शुरू किया जिसे इकरा के पिता रिज़वान शहर के सिग्नल पर खड़े होकर बेचते थे.
कोरोना काल तक यह काम ठीक चल लेकिन कोरोना खत्म होते ही ये काम भी खत्म हो गया. 4 बच्चों की फीस जमा करना मुश्किल हो गया, लिहाज़ा रिजवान ने चौराहों पर खड़े होकर डाटा केबल और ईयर फोन बेचना शुरू किया.
इस काम से महीने में 5 से 6 हज़ार रुपये की आमदनी हो जाती है, लेकिन घर का खर्च बच्चों की फीस इन पैसों से पूरी नहीं हो पाती. इक़रा तीन बहन और एक भाई है. भाई 12वीं में पढ़ता है और दो छोटी जुड़वा बहने छठी क्लास में पढ़ती हैं.
फेरी के लिए घर से 30 किलोमीटर दूर जाते हैं
इक़रा के पिता रिज़वान फेरी के लिए घर से 30 किलोमीटर दूर जाते हैं. एक दिन रिजवान किसी काम से पीजीआई गए जो कि इंदिरानगर से 30 किलोमीटर दूर है, वहां उनके ईयर फोन की बिक्री अच्छी हुई, तब से रिज़वान हर रोज़ 30 किलोमीटर दूर एक झोले में अपना सामान लादकर बेचने जाते हैं.
पहले इंदिरा नगर से डेढ़ किलोमीटर दूर पॉलिटेक्निक चौराहे पर रिजवान मास्क और एयरफोन बेचते थे, लेकिन वहां बिक्री कम हो गई, दिन भर में 100 रुपय मिलना भी मुश्किल हो गया. दो वक्त की रोटी का इंतज़ाम करना और बच्चो की कॉपी किताब और फीस का खर्चा मुश्किल हो गया.
अब रिज़वान हर रोज़ एक झोले में अपना सामान लादकर 30 किलोमीटर दूर पीजीआई जाते हैं जहां उनके ईयर फोन की बिक्री अच्छी होती है.
इक़रा के माता-पिता ने सभी मुश्किलों का सामना करते हुए हिम्मत नहीं हारी और अपने बच्चों की पढाई जारी रखी. उनकी मेहनत से आज उनकी बेटी इक़रा न केवल अपनी पढाई जारी रख सकी बल्कि बेहतर प्रदर्शन किया जिसके कारण उसे लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा तीन गोल्ड मैडल देने के लिए चुना गया है.
रिजवान ने अपने सबसे छोटे बेटे को जो कि 12वीं क्लास में पढ़ता है 4000 रुपये की नौकरी पर लगवा दिया.
पिता ने कहा – बेटी पर गर्व है
इंडिया टुमारो से बात करते हुए इक़रा के पिता रिज़वान ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर बहुत गर्व है. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी पढ़ने में अच्छी है इसलिए हमने हमेशा यह कोशिश किया कि उसकी फीस वक्त पर जमा हो जाए.
वहीं इक़रा की माँ तरन्नुम अपनी बेटी की उपलब्धियों से बहुत खुश हैं. बात करते हुए वह अपनी सिलाई मशीन दिखाते हुए कहती हैं कि कोरोना कॉल में इस मशीन बे बड़ा साथ दिया था मगर अब ये भी खामोश हो गयी है.
इक़रा ने बात करते हुए बताया कि उन्हें हाईएस्ट मार्क्स और परसेंटेज के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सम्मानित करेंगी. पिछले साल भी इकरा को बेस्ट स्टूडेंट का अवार्ड मिला था.

इक़रा, असिस्टेंट प्रोफेसर बनना चाहती हैं
इकरा उर्दू में अपना करियर बनाना चाहती हैं और असिस्टेंट प्रोफेसर बनना चाहती हैं. इक़रा के सभी दोस्त कंप्यूटर और टेबलेट से पढ़ाई करते हैं लेकिन इक़रा किताबों से पढ़ती हैं.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए इक़रा कहती हैं, “अगर मैं कंप्यूटर का नाम लूंगी तो अब्बा कहीं ना कहीं से अपना पेट काटकर इंतज़ाम करेंगे इसलिए मैं किताबों के साथ खुश हूं.”
साभार: इंडिया टुमारो