खरगोन: हिंदू संगठनों के लोगों ने मुस्लिम संस्था के नाम पर किसानों के साथ की धोखाधड़ी, सस्ते दामों में खरीदी जमीन

नई दिल्ली, मध्य प्रदेश के खरगोन से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक हिंदूवादी समूह ने मुस्लिम संस्था के नाम किसानों से उनकी 200 एकड़ जमीन में सस्ते दामों में खरीद ली। 30 वर्ष पूर्व ‘तंजीम ए जरखेज’ नाम की संस्था बनाकर हिंदू किसानों से औने पौने दाम में हिंदू संगठनों के लोगों ने जमीन खरीदी।

उसके बाद ‘तंजीम ए जरखेज का नाम बदलकर प्रोफेसर पीसी फाउंडेशन कर दिया गया। आरोप है कि संस्था ने घोटाले के लिए तंजीम ए जरखेज बनाकर हिंदू किसानों को मुसलमानों का डर दिखाया। जबकि इस संस्था में हिंदू संगठन से जुड़े लोग शामिल हैं। उन्होंने बाद में संस्था का नाम बदलकर पीसी फाउंडेशन किया।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2,000 के दशक में खरगोन शहर के बाहरी इलाके में जमीन बेचने वाले ज्यादातर छोटे किसान थे। उन्होंने अब पुलिस से संपर्क किया है, क्योंकि क्षेत्र में अब एक आवासीय कॉलोनी आकार ले रही है। जमीन देने वालों का कहना है कि वे ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। क्योंकि यह मामला 30 साल पुराना है।

वर्तमान में सत्तारूढ़ भाजपा के एक नेता रंजीत सिंह दांडीर उक्त समूह के अध्यक्ष हैं। जमीन का सौदा होते समय समूह का नाम तंजीम-ए-जरखेज हुआ करता था, जो कि 2007 में सौदा पूरा होने के बाद ‘प्रोफेसर पीसी महाजन फाउंडेशन’ हो गया। इसके अधिकारी किसी भी धोखाधड़ी से इनकार करते हैं। फाउंडेशन के निदेशक रवि महाजन ने कहा, ‘हम केवल जमीन का सदुपयोग कर रहे हैं।’ उन्होंने बताया, ‘आवासीय भूखंडों के अलावा आवारा गायों के लिए एक गोशाला या आश्रय भी बनाया जा रहा है।

इस मामले में किसानों का कहना है कि उन्हें धोखा दिया गया, क्योंकि उन्हें लगा कि जो एजेंट उनसे संपर्क कर रहे हैं, वे मुसलमान हैं। राजपुरा में रहने वाले नंदकिशोर बताते हैं कि उनकी जमीन इस्कॉन मंदिर के पास थी, उन्होंने मात्र 40,000 रुपये में सारी जमीन बेच दी। वो कहते हैं, ‘जाकिर नाम का शख्स हमारे पास आया। कहने लगा कि तुम्हारे आसपास की जमीन खरीद ली है और बोला कि यहां मुसलमानों का बूचड़खाना बनेगा, तुम्हारी जमीन बेच दो, नहीं तो घेरे जाओगे। उन्होंने पूरी कीमत नहीं दी, 40000 रुपये थे। बाकी पैसे दिए नहीं, अब मेरे पास जमीन नहीं है, सब ले ली।

वहीं, रामनारायण बताते हैं, ‘2004-05 में दलाल बबलू खान आता था। मेरे बड़े भाई को एक मोटरसाइकिल खरीद दी। फिर हमारी जमीन औने-पौने दाम में ले ली। जो रजिस्ट्री थी वो अंग्रेजी में थी, यही भ्रम फैलाया कि मुस्लिम आ जाएंगे। भयभीत होकर हमने जमीन बेच दी, अपने पास मुसलमान आ रहे थे तो हमने यही सोचा वो बसेंगे। अपने को क्या पता कि जमीन व्यापारी ने खरीदी या किसने खरीदी। अन्य का कहना है कि उन्हें बताया गया कि यहां हज कमेटी और कब्रिस्तान बनाए जाएंगे।

सिंघवी ने बताया कि वहां तंजीम-ए-जरखेज नाम देखकर हमारे रिश्तेदारों को लगा कि हज कमेटी बनेगी, मुस्लिम बस्ती बसेगी। घबराकर उन्होंने जमीन बेच दी। सबसे आखिर में हमने अपनी जमीन उनके और बबलू दलाल के बोलने पर बेची। शेख ने एनडीटीवी से कहा, ‘मैंने सोचा था कि संगठन का उद्देश्य सामाजिक सेवा का काम करना है, लेकिन मैंने कभी किसी को अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर या गुमराह नहीं किया।

कुछ जमीन उसी समूह द्वारा बनाए गए एक अन्य संगठन द्वारा खरीदी गई थी। 200 एकड़ में से 150 एकड़ जमीन को 11 व्यक्तियों या संगठनों से खरीदा गया था। बाकी जमीन छोटे किसानों की थी। ट्रस्ट के संगठन के नाम और जमीन के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा, ‘हम खरगोन में एक गोशाला चाहते थे। मैंने सोचा था कि हम यहां एक गोशाला बनाकर समाज और गायों के लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं। मुझे नहीं पता कि अगर हम इसका नाम तंजीम-ए-जरखेज रखें तो क्या आपत्ति है।

दांडीर बजरंग दल के राज्य सह-संयोजक रह चुके हैं, और एक सहकारी बैंक के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे हैं। ट्रस्ट का नाम इसके निदेशक रवि महाजन के पिता के नाम पर है। उन्होंने कहा, ‘तंजीम-ए-जरखेज का अर्थ बंजर भूमि को उपजाऊ बनाना होता है। चूंकि हमें लगा कि लोग इसका अर्थ नहीं समझ पाएंगे, इसलिए हमने नाम बदल लिया।

महाजन ने कहा, ‘सब काम कानून के तहत हुआ है, यहां गरीबों को मकान मिले हैं, जमीन में पानी संस्था लेकर आई है। उन्होंने आगे कहा, ‘यहां 700 फीट तक पानी नहीं था, यहां हमने पानी पैदा किया. मैं अन्ना हजारे, बाबा आम्टे से प्रेरित रहा हूं. हमने भी ये कल्पना की कि यहां ग्रीनलैंड बनाया जाए। ये समाज को मैसेज देना था। 148 एकड़ की लिस्ट मैं आपको दे चुका हूं, जो गैर-कृषक हैं, व्यवसायी हैं, अधिकारी हैं… इनको डराना… ये भ्रामक प्रचार है।

फिलहाल यह मामला अपर कलेक्टर के कोर्ट पहुंच चुका है। कोर्ट केस लड़ने वाले सुधीर कुलकर्णी खुद 30 साल से संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। उनका कहना है, ‘2005 में उस वक्त बीजेपी विधायक बाबूलाल महाजन ने ही आवाज उठाई थी कि ये गलत हो रहा है। 2017 में मैंने आवेदन दिया था कि करोड़ों की स्टांप ड्यूटी चोरी हुई। तहसीलदार ने गलत नामांकरण किया था, अब हम धारा 80 के तहत नोटिस देंगे ये सारी संपत्ति सीज हो।

साभार: मिल्लत टाईम्स

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