झेलम कॉर्ट : कश्मीर के तीन युवकों का ऐसा ई-कॉमर्स प्लेटफार्म जहां मोल-भाव के साथ कर सकते हैं खरीदारी

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
यदि आप गैर कश्मीरी हैं, पर इस सूबे की कलाकृतियां, खाने-पीने के सामान, मेवा, कपड़े, खास तरह के जूते, कश्मीरी नक्कासीदार सामान पसंद करते हैं और इसे देश-विदेश के किसी हिस्से में रहते हुए पूरे मोल-भाव के साथ कम कीमत पर खरीदना चाहते हैं तो श्रीनगर एवं अनंतनाग के तीन उद्यमियों अहमद नबील वानी, नवीद कादिर वानी और आरिफ अहमद द्वारा विकसित ई-कॉमर्स वेबसाइट ‘झेलम कॉर्ट’ आपकी भरपूर मदद कर सकता है.

यही नहीं इनके प्रयासों ने कश्मीर के छोटे व्यापारियों को भी अपने सामानों की बिक्री के लिए एक बड़ा प्लेट फॉर्म मुहैया कराया है.
‘झेलम कॉर्ट’ कश्मीर का इकलौता ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है. इसकी स्थापना को करीब एक साल पूरा हो गया है. ‘झेलम कॉर्ट’ के जनक अहमद नबील वानी, नवीद कादिर वानी और आरिफ अहमद नज़र कहते हैं, ‘‘इसकी स्थापना के पीछे उद्देश्य था स्थानीय व्यापारियों और संभावित खरीदारों के बीच पुल का काम करना. इसके लिए एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की जरूरत थी, जिसे हमने पूरा करने की कोशिश की है.’’
उनका दावा है कि इसकी मदद से घाटी की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है.

अवरूद्ध अर्थव्यस्था को मिली गति
वे कहते हैं कई कारणों से बार-बार के व्यवधानों के बीच कश्मीर के स्थानीय लोगों को अनिश्चितताओं के साथ जीवन की गाड़ी आगे बढ़ाने में दिक्कत आ रही थी. घाटी में आतंकवादी गतिविधियों और बार-बार के बंद के कारण व्यापारियों को गंभीर वित्तीय संकट झेलना पड़ रहा था.

विशेष रूप से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और बाद में कोविड-19 लॉकडाउन ने घाटी की आर्थिक दशा पर गंभीर संकट पैदा कर दिया था. लोग घरों में कैद थे और व्यापार ठप था. इसका सबसे ज्यादा असर स्थानीय व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं पर पड़ा.

भौतिक स्टोर बंद होने और इंटरनेट कनेक्टिविटी कट जाने से लोगों की दिनचर्या बिगड़ गई थी. तभी श्रीनगर और अनंतनाग के तीन उद्यमियों अहमद नबील वानी, नवीद कादिर वानी और आरिफ अहमद नजर को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘झेलम कॉर्ट ’ को जल्द लांच करने का ख्याल आया.

वे स्थानीय व्यापारियों और संभावित खरीदारों के बीच की खाई को पाटना चाहते थे.एक लोकल मीडिया से बात करते हुए इसके सह-संस्थापकों में से एक अहमद नबील वानी ने कहा, कश्मीर के लोगों के लिए एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस बनाने और सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी सहित कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद वे अपने उद्देश्य में कामयाब हुए हैं.

2018 से चल रहा था काम
अहमद नबील ने बताया कि उन्होंने 2018 में ही एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के आइडिया पर काम करना शुरू कर दिया था. झेलम नदी के किनारे बैठक कर इसपर चर्चा की गई कि कैसे कश्मीर के लोग कर्फ्यू और बंद से दशकों से पीड़ित हैं.

वे बताते हैं कि आमतौर पर कश्मीर के लोग इंटरनेट को समस्या के समाधान के रूप में नहीं देखते. अधिकतर इसका मनोरंजन और मनोरंजन के साधन के तौर पर करते हैं. तभी हमारे मन में ख्याल आया कि जो इंटरनेट पर आएगा वह हमारे प्लेटफॉर्म पर भी जरूर आएगा.

इसके बाद व्यापारियों तक बात पहुंचाई गई कि एक खुदरा विक्रेता तभी बिक्री करता है जब उसकी दुकान का शटर खुला हो और सड़कों पर लोग हों, मगर उनके प्लेटफॉर्म पर आने से सड़क पर चाहे जैसी स्थिति हो उनका व्यापार चलता रहेगा.
उन्होंने कहा कि ‘झेलम कॉर्ट’ की स्थापना में उन्हें अन्य दुश्वारियों के साथ अनुच्छेद 370 और लॉकडाउन के चलते हाई-स्पीड इंटरनेट से वंचित रहने से भी बहुत परेशानी आई. बाद में सब कुछ ठीक हो गया.

आर एंड डी पर लगाया समय
बता दूं कि कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा मोबाइल इंटरनेट पर निर्भर है, पर इसकी गति ज्यादातर समय तक तेज नहीं रहती. कुछ देर बाद ही बेहद धीमी हो जाती है. हालांकि दो साल बाद हाई-स्पीड इंटरनेट बहाल कर दिया गया है.

‘झेलम कॉर्ट’ के संस्थापकों का कहना है कि लांचिंग से पहले उन्होंने अनुसंधान और विकास को विशेष महत्व दिया. करीब छह महीने उन्होंने आर एंड डी पर लगाए. उसके बाद दो साल वेबसाइट और ऐप को डिजाइन में लगाए.
इसे तर्कसंगत बनाने के लिए कई कोड विकसित किया गया. आखिरकार, अनुच्छेद 370 और कोविड-19 महामारी की समस्या समाप्त होते ही 2020 के अंत में वेबसाइट और ऐप का सूक्ष्म अध्ययन और परीक्षण के बाद इसे लांच कर दिया गया.

‘ऑन एयर’ करने से पहले स्थानीय विक्रेताओं को प्लेटफार्म में शामिल किया गया. उन्होंने बताया कि उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस बनाना उनके लिए दूसरी बड़ी चुनौती थी. हमें एक ऐसा प्लेटफार्म बनाना था जिसमें सीमित संसाधनों के साथ एक साधारण विक्रेता पोर्टल, एक उपयोगकर्ता के अनुकूल डैशबोर्ड और एंड-टू-एंड सुचारू लेनदेन प्रक्रिया हो. उन्होंने बताया कि अभी इसमें सुधार की प्रक्रिया जारी हैं.

विक्रेता अपने उत्पादों को कैसे करे प्रदर्शित ?
अहमद नबील ने बताया कि वर्तमान में 70-80 विभिन्न प्रकार के विक्रेता मंच से जुड़े हैं. इनमें स्थानीय कलाकार, व्यवसाय, दुकानदार, निर्माता और यहां तक कि स्ट्रीट वेंडर भी शामिल हैं. हस्तशिल्प स्मृति चिन्ह बनाने वाले स्ट्रीट वेंडर को खास तौर से प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है.

कश्मीर के सूखे मेवे बेचने वाले, शॉल और हस्तशिल्प उत्पाद बेचने वाले और पर्यटन पर निर्भर लोगों को भी इसमें जगह दी गई है. इनकी संख्या बढ़ाने पर निरंतर काम चल रहा है. इसका असर यह हुआ है कि अमेजन या फ्लिपकार्ट जैसे बड़े ई-कॉमर्स के प्लेटफार्म के साथ खरीदार ‘झेलम कॉर्ट’ को भी खंगालने लगे हैं.

ऑनलाइन सौदेबाजी
जानकर हैरानी होगी कि यह एक ऐसा अनूठा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है जहां ग्राहकों को विक्रेता के साथ सौदेबाजी कर कम कीमतों में सामान खरीदने का भी विकल्प मिलता है. ‘झेलम कार्ट’ के सह-संस्थापकों में से एक नबील ने कहा,“यह पहला ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है जहां ग्राहक विक्रेता के साथ संवाद कर सकते हैं और सबसे कम कीमत पर मोलभाव कर सकते हैं.’’

उनका ई-कॉमर्स शॉपिंग प्लेटफॉर्म खरीदारों को विक्रेताओं की तुलना में अधिक शक्ति देता है, जो कि अन्य ई-कॉमर्स वेबसाइटों में नहीं है.रीयल-टाइम सौदेबाजी की सुविधा ग्राहकों को यह संतुष्टि देती है कि उन्होंने सस्ती दरों के लिए कड़ी मेहनत नहीं करनी पड़ी. यह विक्रेताओं को भविष्य के सौदों के लिए ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत संबंध बनाने में भी मदद कर रहा है.

साभार: आवाज द वॉइस

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