स्विस बैंकों से काला धन तो न ला पाई मोदी सरकार, उल्टा भारतीयों का धन बढ़ गया

स्विट्जरलैंड के बैंकों से काला धन वापस लाने के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार पिछले 7 सालों में एक फूटी कोड़ी न ला पाई। इसके विपरीत स्विस बैंकों से भारतीयों का धन  बढ़ता ही जा रहा है। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक की ओर से गुरुवार को जारी सालाना आकड़ों में पता चला कि भारतीयों का व्यक्तिगत और कंपनियों का पैसा स्विस बैंकों में 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (20,700 करोड़ रुपये से अधिक) हो गया।

स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के डाटा के मुताबिक, साल 2019 के अंत तक भारतीयों की जमा रकम का आंकड़ा 899 मिलियन स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपये) था। यह 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक पर पहुंच गया। ये बीते तेरह सालों में सर्वाधिक है। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने स्विस बैंकों से काला धन लाकर हर परिवार को 15-15 लाख रुपए देने का चुनावी वादा किया था।

साल 2006 में लगभग 6.5 बिलियन स्विस फ्रैंक के साथ भारतीयों की जमा रकम ने रिकॉर्ड उच्च स्तर छुआ था। हालांकि 2011, 2013 और 2017 सहित कुछ वर्षों को छोड़कर इसमे गिरावट देखने को मिली थी। लेकिन 2020 में भारतीयो ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए निजी कस्टमर खातों में करीब 4000 करोड़ रुपये जमा कराये। वहीं 3100 करोड़ रुपये अन्य बैंकों के जरिये जमा कराए गए। इसमे करीब 16.5 करोड़ रुपये ट्रस्ट आदि के थे और सबसे ज्यादा 13,500 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी भारतीयों को स्विस बैंकों की तरफ से बांड, सिक्योरिटीज व अन्य वित्तीय तरीकों के बदले मिलने वाली रकम की थी।

हालांकि इन आंकड़ों में वह राशि भी शामिल नहीं है जो भारतीय, प्रवासी भारतीय या अन्य तीसरे देशों की इकाइयों के जरिये स्विस बैंकों में रख सकते हैं। दुनिया भर में स्विस बैंक में धन रखने वाले देशों में भारत 51वें स्थान पर है। शीर्ष 10 में वेस्टइंडीज, फ्रांस, हांगकांग, जर्मनी, सिंगापुर, लक्जमबर्ग, केमैन आईलैंड और बहामास हैं।

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