लोग अभी तक लगे है बहस में कि, फव्वारा है कि शिवलिंग है….. अरे भाई !…जरा देश के आर्थिक हालात पर भी नजर डाल लो !…… किस तेजी के साथ भारत, श्रीलंका बनने की ओर अग्रसर है,…..
महंगाई बढ़ रही है और रुपया दिन ब दिन डॉलर के मुकाबले गिर रहा है यह तमाशा तो हम देख ही रहे है, लेकिन हम यह नहीं देख पा रहे हैं कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी के साथ लुढ़क रहा है रिजर्व बैंक के मई बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाशित एक लेख के मुताबिक 6 मई को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 596 अरब डॉलर रह गया, यह लगातार 10वां सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है।
इस अवधि में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 1.169 अरब डॉलर घटकर 40.57 अरब डॉलर रह गया। इतना ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 16.5 करोड़ डॉलर घटकर 18.204 अरब डॉलर रह गया। और आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 3.9 करोड़ डॉलर घटकर 4.951 अरब डॉलर रह गया है
आप को जानकर आश्चर्य होगा कि हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि आज जो हमारे पास विदेशी मुद्रा भंडार बचा है उससे हम अगले 10 महीने ही आयात का बिल भर पाएंगे, ……..और यह हम नही कह रहे हैं !….स्वयं आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है !……..
मोदी राज में अमीर गरीब के बीच असमानता तेजी से बढ़ी है पिछ्ले दिनो देश में असमानता की स्थिति को लेकर पीएम आर्थिक सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट जारी की गई है, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास अर्जित कुल आय का 5-7 प्रतिशत हिस्सा है. वहीं लगभग 15 प्रतिशत कामकाजी आबादी ₹ 5,000 प्रति माह से कम कमाती है. जबकि औसतन ₹ 25,000 प्रति माह कमाने वाले कुल वेतन वर्ग के शीर्ष 10 प्रतिशत में आते हैं,……
शीर्ष एक प्रतिशत लोगों के पास 22 प्रतिशत आय है, संपन्न 10 प्रतिशत लोगों के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत है तो वहीं दूसरी ओर, 50 प्रतिशत यानी कुल आबादी के आधे लोगों के पास 13 प्रतिशत आमदनी है.
रिपोर्ट से साफ जाहिर हो रहा है कि भारत में शीर्ष 1 प्रतिशत की आय में वृद्धि दिखाई देती है जबकि निचले 10 प्रतिशत की आय घट रही है. और जब यह सब हो रहा है तब हम बजाए इन सबकी चिंता करने के फव्वारे और शिवलिंग में उलझे हुए हैं