मोदी के आंख में आंख डालकर कोई शख्स लड़ा और उसकी कीमत चुका रहा है तो वे आईपीएस संजीव भट्ट हैं।1245 दिन से संजीव भट्ट पालनपुर जेल में हैं।उन्हें पहले 23 साल पुराने ड्रग्स केस में फंसाया गया,फिर 32 साल पुराने हिरासत में मौत मामले में फंसाया गया है। गुजरात दंगों के वक़्त 27 फरवरी 2002 की रात को एक क्लोज मीटिंग में मोदी ने संजीव भट्ट सहित 8 आईपीएस को मुस्लिमों को सबक सिखाने की बात कही थी। बाकी सब आईपीएस ने हां कह दिया पर संजीव भट्ट ने मना कर दिया।
उन्होंने कहा लॉ एंड ऑर्डर हमारी ड्यूटी है और एक आईपीएस के रूप में हिंदुओं के साथ मुस्लिमों की सुरक्षा करना मेरी जिम्मेदारी है।यह बात मोदी को नागवार गुजरा ।2011 में आईपीएस संजीव भट्ट को निलंबित कर दिया गया।उन्हें मोदी ने साबरमती जेल में डाल दिया, फिर केंद्र में आने पर 2015 में पुलिस अधिकारी के रूप में उनकी सेवा भी खत्म कर दिया।संजीव भट्ट हार मानने की जगह लगातार लड़ते रहे।मोदी को यह बर्दाश्त नहीं हुआ इसलिए पुराने मामलों में संजीव को जेल में डाल दिया।
संजीव भट्ट के लिए जोर से सत्ता से टकराती उनकी पत्नी श्वेता पर हमला भी हुआ,उन्हें सुरक्षा मांगने पर भी नहीं दिया गया। संजीव भट्ट को हाई कोर्ट,सुप्रीम कोर्ट कहीं से भी न्याय नहीं मिल रहा है। संजीव भट्ट उनकी पत्नी श्वेता, उनके बेटे शांतनु और बेटी आकाशी बहुत बहादुर हैं। ये अलग ही मिट्टी के बने लोग हैं।मोदी इस परिवार की बहादुरी से गुजरात से डरता आया है। इस बहादुर परिवार का साथ देश के सभी लोगों को देना चाहिए।आज संजीव भट्ट और उनकी पत्नी श्वेता भट्ट के विवाह को 35 वर्ष पूरे हो गए हैं। उन्हें बहुत- बहुत शुभकामनाएं।उम्मीद है जल्द ही संजीव भट्ट आज़ाद होंगे।
आप बहुत ही बहादुर इंसान हैं सर. ऐसे ही देश के दुश्मनों से लड़ते रहिये.. हार मत मानिएगा.. सारा देश आपके साथ है.. हम आपको हृदय से सैल्यूट करते हैं…