मेहसाणा : बिना अनुमति के आजादी मार्च निकालने के पांच साल पुराने मामले में यहां की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने गुरुवार को गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और नौ अन्य को दोषी ठहराया और उन्हें तीन महीने की कैद की सजा सुनाई।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जे ए परमार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 143 के तहत मेवानी और राकांपा की पदाधिकारी रेशमा पटेल और मेवाणी के राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के कुछ सदस्यों सहित नौ अन्य को गैरकानूनी सभा का हिस्सा होने का दोषी ठहराया। अदालत ने सभी 10 दोषियों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
मेहसाणा ‘ए’ डिवीजन पुलिस ने जुलाई 2017 में बिना अनुमति के बनासकांठा जिले के मेहसाणा से धनेरा तक ‘आजादी मार्च’ निकालने के लिए मेवाणी और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 143 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
रेशमा पटेल, जो उस समय पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की समर्थक थीं, किसी राजनीतिक दल की सदस्य नहीं थीं, जब उन्होंने मार्च में भाग लिया था। एफआईआर में नामजद कुल 12 आरोपियों में से एक की मौत हो चुकी थी, जबकि एक अभी भी फरार है।
बता दें कि हाल ही में जिग्नेश मेवाणी को असम में दो मामलो में कोर्ट से रिहाई मिली है। विधायक को 20 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच दो बार गिरफ्तार किया गया था।
पहले मामले में, उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट करने के लिए आपराधिक साजिश और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया था। मेवाणी ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी मोहनदास करमचंद गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की पूजा की थी।
दूसरे मामले में, उन पर एक महिला पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट करने और उसका शील भंग करने का आरोप लगाया गया था। उन्हें दोनों मामलों में जमानत मिल चुकी है। मेवाणी ने दावा किया कि उनकी गिरफ्तारी गुजरात सरकार और प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं और इरादों को दर्शाती है।