सीबीआई द्वारा गुजरात स्थित एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (एबीजी एसएल) पर 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण धोखाधड़ी का मामला दर्ज किए जाने के कुछ दिनों बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अब कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ धन शोधन की जांच शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
सीबीआई ने जहां कंपनी के सीएमडी ऋषि अग्रवाल समेत आरोपियों के खिलाफ देश से भागने से रोकने के लिए लुकआउट सर्कुलर जारी किया है, वहीं ईडी मनी लॉन्ड्रिंग ट्रेल्स को मैप करने के लिए मामले से संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रही है। सीबीआई ने यह भी पाया है कि एबीजी समूह की 98 संबंधित कंपनियां इस धोखाधड़ी में शामिल थीं।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह ईडी के लिए जांच के लिए एक उपयुक्त मामला है क्योंकि इस बात के स्पष्ट सबूत हैं कि पैसे को एक घुमावदार तरीके से ले जाया जा रहा है। मामले के कागजात की जांच की जा रही है और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला जल्द ही दर्ज किया जाएगा। ईडी के पास मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल कंपनियों और व्यक्तियों की संपत्ति कुर्क करने का अधिकार है।
प्रमुख बैंकों का कंपनी पर कितना बकाया?
बैंक का नाम | बकाया |
आईसीआईसीआई | 7,089 करोड़ रुपये |
आईडीबीआई | 3,634 करोड़ रुपये |
स्टेट बैंक आफ इंडिया | 2,468.51 करोड़ रुपये |
बैंक ऑफ बड़ौदा | 1,614 करोड़ रुपये |
पीएनबी | 1244 करोड़ रुपये |
आईओबी | 1,228 करोड़ रुपये |
संयोग से, यह पहली बार नहीं है जब एबीजी समूह ईडी के निशाने पर आया है। 2019 में, एजेंसी ने IL & FS के मामलों में अपनी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में समूह की एक सीमेंट निर्माण सहायक कंपनी से संबंधित 963 करोड़ रुपये की संपत्ति संलग्न की थी।
बता दें कि ये देश का अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला है। यानी विजय माल्या 9 हजार करोड़ और नीरव मोदी 14 हजार करोड़, दोनों की कुल धोखाधड़ी के बराबर। एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ने देश की अलग-अलग 28 बैंकों से कारोबार के नाम पर 2012से 2017 के बीच कुल 28,842 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। बैंक फ्रॉड के जरिए प्राप्त किए गए पैसे को विदेश में भेजकर अरबों रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी गईं। कंपनी का पूर्व एमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल पहले ही देश छोड़कर भाग चुका है और वह इस समय सिंगापुर में रह रहा है।