ओवैसी ने मुसलमानों से कहा – ‘राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता के झांसे में न आएं’

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को मुसलमानों को राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता में न फंसने की सलाह दी।

तिरंगा यात्रा के दौरान यहां मुंबई में जनसमूह को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘मैं भारत के मुसलमानों से पूछना चाहता हूं कि हमें धर्मनिरपेक्षता से क्या मिला? क्या हमें धर्मनिरपेक्षता से आरक्षण मिला? क्या मस्जिद गिराने वालों को सजा मिली? नहीं, किसी को कुछ नहीं मिला। मैं संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता हूं न कि राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता में। मैं सभी से राजनीतिक धर्मनिरपेक्षता में न फंसने की अपील करता हूं।

उन्होंने कहा, “सरकारी आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र में स्नातक मुसलमानों की संख्या केवल 4.9 फीसदी है। मिडिल स्कूल में केवल 13 फीसदी मुस्लिम छात्र हैं। महाराष्ट्र में 83 फीसदी मुसलमान भूमिहीन हैं।” उन्होंने शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आड़े हाथ लिया और कहा कि अगर सरकार मुसलमानों को आरक्षण देती तो मुस्लिम बच्चों को शिक्षा मिलती। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में मुसलमानों की तुलना में मराठों का जीवन स्तर बहुत अधिक ऊंचा है।

ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस और राकांपा ने सत्ता के लिए शिवसेना के साथ हाथ तो मिला लिया लेकिन मुस्लिम समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में 5 प्रतिशत कोटा लागू करने का आश्वासन भूल गए। एआईएमआईएम को धर्मनिरपेक्ष वोट काटने के लिए दोषी ठहराने पर ओवैसी ने पूछा। क्या शिवसेना धर्मनिरपेक्ष है? जब शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने विधायिका में कहा कि उन्हें गर्व है कि शिव सैनिकों ने बाबरी मस्जिद को नष्ट कर दिया, तो ये दोनों दल चुप रहे।

ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर हमला बोलते हुए कहा, ‘मुसलमान पढ़ना चाहते हैं, लेकिन फीस के अभाव में पढ़ नहीं पाते. RSS झूठ बोलता है कि मुसलमान पढ़ना नहीं चाहते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र के मुसलमान एनसीपी-कांग्रेस को वोट देते हैं, मैं कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र में 4.9% मुसलमान स्नातक हैं, प्राइमरी में 22 फीसदी, सेकेंडरी में 13 फीसदी, कॉलेज में 11 फीसदी पढ़ रहे हैं।’

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