आस्था के नाम पर धोखा : ऑनलाइन मूर्ति मंगाई, खेत मे दबाई , अगले दिन प्रकट दिखा ठगा चढ़ावा,गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में 3 लोगों की अपने ही गांव के मासूम ग्रामीणों को ठगने की विस्तृत योजना विफल रही। एक 55 वर्षीय व्यक्ति और उसके दो बेटों ने साथ मिलकर पहले ऑनलाइन मूर्तियां मंगाई और अपने खेत में दबा दिया। फिर बाद में ग्रामीणों के सामने खुदाई करके दावा किया कि मूर्तियां 500 वर्ष पुरानी हैं। फिर क्या था लोगों ने जमकर चढ़ावा चढ़ाया। हालांकि बाद में जांच के बाद जब सच्चाई सामने आई तो तीनों बाप बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस ने तीनों की पहचान अशोक रायराज (55), और उनके बेटों रवि रायराज (26) और विजय रायराज (27) के रूप में की और कहा कि वे महमूदपुर गांव के रहने वाले हैं, जो कि असीवान पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है।

मामला मंगलवार का है जब सैकड़ों श्रद्धालु मूर्ति पूजा करने खेत की तरफ पहुंचे। मिली मूर्ति की खबर के बाद मौके पर एसडीएम और थाना प्रभारी भी पहुंचे, उन्होंने पुरातत्व विभाग को इसकी जानकारी देकर मूर्तियों को अशोक के घर रखा दिया लेकिन पुलिस के जाते ही बाप बेटे फिर से मूर्तियों को लेकर खेत पर पहुंच गए। और वहां आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटना शुरू कर दिया।

यहां से खरीदी गई थी मूर्ति !
यहां से खरीदी गई थी मूर्ति !

बताया गया कि मात्र 2 दिनों के अंदर उनके पास 35 हज़ार का चढ़ावा जमा हो गया। घटना की तस्वीर जब ऑनलाइन वायरल होने लगी तो एक डिलीवरी बॉय ने पुलिस को बेहद चौंकाने वाली सूचना दी। उसने बताया कि मूर्ति ऑनलाइन मात्र 169 रुपए में खरीदी गई है।

बयान में डिलीवरी बॉय ने कहा, “मैंने इन मूर्तियों को अशोक के यहां पहुंचाया था। उनके बेटे रवि गौतम ने मीशू कंपनी से 169 रुपए में मूर्तियों का सेट ऑनलाइन ऑर्डर कर मंगवाया था। मैंने ही 29 अगस्त को उसके घर ये सेट डिलीवर किया था।” इसके बाद पुलिस ने आनन फानन में जांच की और डिलीवरी बॉय की बात सच साबित हुई। अशोक और उनके बेटों ने इस बात को स्वीकारा की उन्होंने पैसों की लालच में पूरी योजना बनाई थी। फिर पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया।

चढ़ावे में 35 हजार कुछ ही घण्टे में इकट्ठा हो गए…

“कुछ दिन पहले, पिता और पुत्र ने ग्रामीणों को बताना शुरू किया कि उन्होंने अपने सपने में एक देवी देखी, जिसने उन्हें बताया कि उनके खेत में मूर्तियाँ दफन हैं। उन्होंने अपना खेत खोदा जहाँ से मूर्तियाँ मिलीं। वे वहां एक मंदिर स्थापित करना चाहते थे। उनका उद्देश्य पैसा कमाना था क्योंकि लोग मूर्तियों को देखकर पैसा दान करते, ”बांगरमऊ सर्कल अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने गुरुवार को कहा।

जब इलाके में जंगल की आग की तरह ये बात फैली तो वहां पर भारी भीड़ जमा होने लगी। इसी बीच इसकी सूचना पुलिस को भी मिली जिसके बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई। सिंह ने कहा, “यह पाया गया कि इन मूर्तियों को 169 रुपये में ऑनलाइन ऑर्डर किया गया था और पिता और दोनों बेटों द्वारा इसे छिपाया गया था।”पुलिस ने जानकारी दी कि मूर्तियों को ऑनलाइन मंगवाया गया था। “ग्रामीणों को तब सच बताया गया, और जो लोगों को गुमराह कर रहे थे, वे कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।” सिंह ने बताया।

आगे जानकारी दी गई कि अशोक और उसके बेटों को सीआरपीसी की धारा 151 (संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए गिरफ्तारी) के तहत हिरासत में ले लिया गया है और पुलिस मामले की जांच कर रही है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “तीनों छोटे किसान हैं।”

साभार: जिब्रानउद्दीन Twocircles.net

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