शेख मोहम्मद यूनुस / हैदराबाद
शेरों, बाघों और चीतों के साथ समय बिताना अकल्पनीय है. हालांकि, हैदराबाद का एक युवक अशफाक अहमद खतरनाक जंगली जानवरों के साथ रहता है, जैसे कि वे खुंखार जानवर उसके लिए पालतू हों. यह कोई कहानी नहीं, बल्कि सच्चाई है कि अशफाक अहमद और शेर, बाघ और चीता में ऐसा प्यार है कि वे एक-दूसरे से परिचित हैं, साथ रहते हैं, खाते-पीते हैं.
अशफाक अहमद सऊदी अरब में कई बाघों के मालिक हैं. उन्होंने जंगली जानवरों को बेहतरीन तरीके से प्रशिक्षित किया. वह बचपन से ही भयानक जानवरों पर मोहित थे. यह लगाव उन्हें एक खाड़ी देश में ले गया, क्योंकि उनकी मातृभूमि में प्रतिबंधों ने उन्हें अपने जुनून का पीछा करने से रोक दिया था. पेट्रोल से समृद्ध इस देश में उनका सपना साकार हुआ.
अशफाक अहमद बचपन से ही काफी समझदार रहे हैं. उन्होंने मैथ्यूज स्कूल एबिड्स से एसएससी पूरा किया और विकास जूनियर कॉलेज से इंटरमीडिएट पास किया. मेरठ से डिस्टेंस स्टाइल में बीएससी कंप्यूटर पूरा किया. बाद में उन्होंने टेलीकॉम आईटी इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की. उनके पिता मुहम्मद यूसुफ बीएसएनएल के कर्मचारी थे. उनके घर में घोड़े और उच्च कोटि की बकरियां और मुर्गियां थीं.
हालांकि, बचपन से ही अशफाक अहमद को जंगली जानवरों को पालने का शौक था. भारत में जंगली जानवरों को प्रजनन की अनुमति नहीं होने से उनका सपना एक सपना बनकर रह गया था, लेकिन जहां तलाश और जुनून है, वहां रास्ते अपने आप खुल जाते हैं.
अशफाक अहमद नौकरी की तलाश में सऊदी अरब चले गए और उन्हें एक आईटी कंपनी में नौकरी मिल गई. इस दौरान उनकी मुलाकात कुछ युवा सउदी से हुई, जो जंगली जानवरों को पालने में रुचि रखते थे. तब अशफाक अहमद ने अपनी पुरानी इच्छा व्यक्त की और जंगली जानवरों को पालने के अपने जुनून को पूरा किया.
अशफाक अहमद के समूह को रॉयल वाइल्ड एनिमल किंगडम कहा जाता है. समूह का ताइफ में एक पारिवारिक चिड़ियाघर है, जिसे हदीकत अल-हयवानत कहा जाता है. अशफाक अहमद के पास 6 शेर, एक चीता और एक बाघ है. वे कई वर्षों से जंगली जानवरों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. समूह मक्का, मदीना और रियाद में सऊदी अरब के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनियों का भी आयोजन करता है.
आवाज-द वॉयस से बात करते हुए अशफाक अहमद ने कहा कि उनके सभी बाघ और चीते प्रशिक्षित हैं. ये किसी को बेवजह नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. उन्होंने कहा कि एक शेर की कीमत कम से कम 200,000 रियाल होती है, लेकिन शौक और जुनून के सामने यह कीमत मायने नहीं रखती. उन्होंने कहा कि वह दिन में कई घंटे बाघों और तेंदुओं के साथ बिताते हैं. कभी-कभी वे एक ही कमरे में लंबे समय तक रहते हैं.
अशफाक अहमद ने कहा कि जानवर भी आपकी बात को अच्छी तरह समझते हैं. उन्होंने कहा कि सम्मान, विश्वास और बंधन तीन सिद्धांत हैं, जिसके तहत वे काम करते हैं. वे जानवरों की देखभाल करते हैं और जानवर उनकी हर तरह से देखभाल करते हैं.
अशफाक अहमद ने कहा कि अल्लाह ने उन्हें जानवरों के मूड को समझने की क्षमता दी है. उनकी क्षमता ईश्वर प्रदत्त है. उन्होंने इस संबंध में किसी से प्रशिक्षण नहीं लिया है. अशफाक अहमद ने कहा कि वे जानवरों को प्रशिक्षित करने के लिए ड्रग्स का इस्तेमाल नहीं करते हैं. वे जानवरों को अपने हाथों से नहलाते हैं और बिना किसी डर या खतरे के अपने हाथों से उन्हें खाना खिलाते हैं. उनके साथ समय बिताएं और उनकी गंदगी साफ करें.
अशफाक अहमद ने कहा कि कड़ी मेहनत और खोज से युवा अपने सपनों को साकार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें जंगली जानवरों को पालने का जुनून था. उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की. अशफाक अहमद ने कहा कि कोई भी काम मुश्किल होता है लेकिन नामुमकिन नहीं. उन्होंने युवाओं से एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया ताकि सफलता उनकी नियति बन सके.
साभार: आवाज द वॉइस