सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों (CAA Protest) के खिलाफ जारी रिकवरी करने वाली योगी सरकार को बड़ा झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर योगी सरकार को वसूली के करोड़ो रुपए के नोटिस वापस लेने पड़े है।
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए 2019 में कथित नागरिकता संशोधन अधिनियम प्रदर्शनकारियों को दिए गए 274 वसूली नोटिस वापस ले लिए हैं। शुक्रवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रदर्शनकारियों से वसूली गई करोड़ों रुपये की पूरी राशि वापस करने का आदेश दिया था।
हालांकि, अदालत ने राज्य सरकार को नए कानून के तहत कथित प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी। अदालत उत्तर प्रदेश निवासी परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान की वसूली के लिए जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को दिए गए नोटिस को रद्द करने की मांग की गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि नोटिस एक व्यक्ति को भेजे गए थे, जिनकी छह साल पहले 94 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी और साथ ही 90 वर्ष से अधिक आयु के दो लोगों को भी भेजा गया था।
11 फरवरी को, पीठ ने कहा था कि कथित प्रदर्शनकारियों पर नोटिस और कार्रवाई 2009 के फैसले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार नहीं थी। अपने फैसले में, अदालत ने विरोध के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के बड़े पैमाने पर विनाश होने पर नुकसान का आकलन करने और वसूली करने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए थे।
जब अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा था कि वह 2011 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का पालन कर रही हैं, तो पीठ ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करने के लिए फटकार लगाई थी। अदालत ने शुक्रवार को प्रसाद की इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि प्रदर्शनकारियों और राज्य सरकार को रिफंड का निर्देश देने के बजाय दावा न्यायाधिकरण में जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।