राजस्थान के बाड़मेर जिले के शिव कस्बे के छोटे से गांव कानासर की निवासी अनीसा बानो का चैलेंजर क्रिकेट ट्रॉफी-19 में चयन हुआ है।जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में हुए ट्रायल के बाद उनका सिलेक्शन बतौर गेंदबाज किया गया।
अनीसा अल्पसंख्यक समुदाय की पहली बेटी है जिसका क्रिकेट में राज्य स्तरीय टीम में चयन हुआ है। अनीसा के पिता याकूब खान पेशे से अधिवक्ता है। वह बताते है कि अनीसा ने अपने बल पर ये मुकाम हासिल किया है। वह अपने स्कूल से लौटकर भेड़-बकरियां चराने निकल जाती थी। बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक होने के कारण खेत में वह अकेली ही गेंदबाजी की प्रैक्टिस करती रहती थी ।
आठवीं में पढ़ते हुए अनीसा ने क्रिकेट खेलना शुरू किया और बारहवीं में पढ़ते हुए चैलेंजर क्रिकेट ट्रॉफी अंडर-19 में चयन हो गया। अनीसा की क्रिकेट के प्रति दीवानगी का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि गांव में जब कभी लड़कों का मैच होता तो वह बाउंड्री के पास बैठकर पूरा खेल देखती थी।
अनीसा के पिता बताते है कि अनीसा को कई बार समझाया पढ़ाई पर ध्यान दो, क्योंकि गांव में ना ग्राउंड था और ना खेल की कोई सुविधाएं। गांव के लोग भी बेटी के क्रिकेट खेलने पर ताने मारते थे, लेकिन अनीसा क्रिकेट छोड़ने को तैयार नहीं थी और अपनी जिद, लग्न, मेहनत से उसने स्टेट टीम में अपनी जगह बना डाली। इसके बाद गांव के लोग भी सम्मान दे रहे हैं।
वहीं अनीसा ने बताया कि पढ़ाई के दौरान टीवी पर क्रिकेट मैच देखा तो मन में खेलने की भावना जाग्रत हुई। विपरित परिस्थितियों में खुद पर रखा भरोसा ही ताकत बना। लगातार अभ्यास के कारण राजस्थान क्रिकेट टीम में चयन होना किसी बड़े सपने से कम नहीं है। बेटियां में प्रतिभाएं खूब है बस जरूरत उन्हें तलाशने की है।
इसके अलावा अनीसा के भाई रोशन का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय में बेटियों की पढ़ाई का माहौल नहीं है। खेल से तो कोई वास्ता ही नहीं है। बावजूद इसके अनीसा ने क्रिकेट में कैरियर बनाने की ठान ली। शुरुआत में उसके पास क्रिकेट खेलने के लिए बैट था न किट। मैदान के अभाव में खेतों में ही खेलना शुरू किया। विकट हालातों के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और संघर्ष जारी रखा।